________________ " ure ST POS0000000000 पुण्याढच चरित्र सान्वय भाषान्तर / 17 / / 1173 / अर्थ:-पछी आकाशमा चाबुक तथा पशिवाळा एवा ते यक्षना. नोकरोए पकडेला, अने दुःखथी पोकार करता एवा ते र मुनिराजने केशवे जोया. // 420 / / स्वं शिष्यं भोजयेदानीं त्वां वा हन्मि शठं हठात् / इत्युक्तस्तेन यक्षेण मुनीशः केशवं जगौ // 421 // अन्वयः-स्वं शिष्यं इदानी भोजय ? वा स्वां शठं हन्मि, इति तेन यक्षेण उक्तः मुनीशः केशवं जगौ. // 421 // ... अर्थ:-तारा शिष्यने आ वखते जमाडी नहितर तने लुच्चाने मारुं छु, एवी रीते ते यक्षे कहेवाथी ते मुनिराज केशवने फहेवालाग्या के, अध्यकृत्यं सृजेद्देवगुरुसङ्घकृते कृती। मामी मामीदृशा नन्तु त्वद्गुरुं कुरु भोजनम् // 422 // अन्वयः-कृती देव गुरु संघकृते अकृत्यं अपि सृजेत, ईदृशाः अमी त्वद्गुरुं मां मा गंतु, भोजनं कुरु // 422 // अर्थ:-डायो माणस देव, गुरु तथा संघने अर्थे अकार्य पण करे, (वळी)-आवा आ-यक्षना नोकरो तारा गुरु एवा-पने नाम मारे तो ठीक, माटे तुं भोजन कर // 422 // .... මැෂිමමල්ලී P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust