________________ पुण्याय चरित्र / / 172 / सान्वय भाषान्तर / 172 / अन्वयः-अथ हंसानुजः हसन् आह, (हे) यक्षा मां कि क्षोभयसि ? भवांतर उद्भवत् भाग्य ऋद्धेः मे मृत्युभीः क्व 4.18 // अर्थ:-त्यारे हंसनो न्हानो भाइ ते केशव हसतो थको बोलवा लाग्यो के, भवांतरमा उत्पन्न यती छे, सौभाग्यनी समृद्धि जेने एवा मने ते मरणनो भय क्याथी होय? // 418 // आचचक्षेऽन्तरिक्षेऽथ यक्षः स्वान्किरानिति / एतद्धर्मगुरुधुत्वानीय वध्योऽस्य पश्यतः // 419 // अन्वयः-अथ यक्षः अंतरिक्ष स्वान् किंकरान् इति आचचक्षे, एतत् धर्मगुरुः धृत्वा आनीय अस्य पश्यतः वध्यः. // 48 // अर्थः-पछी ते यक्षे आकाशमा रहेला पोताना नोकरोने एम कर्दा के, आ केशवना धर्मगुरुने अहीं पकडी लावी, तेना देखतांज (तमारे) तेने मारी नाखवो. // 419 // अथाकाशे कशापाशभृद्भिस्तत्किकरैर्धतम् / आर्तघोषमृर्षि धर्मघोषमैक्षत केशवः॥ 420 // अन्वयः-अथ आकाशे कशापाशभृद्भिः तकिकरैः धृतं आत घोषं धर्म घोष ऋषि केशवः ऐक्षत. // 420 // SEGEScal Mee0000000000000000 MountanasunMS Jun curs Aaradhak baitana Madhukadhalibition