________________ सान्वय भाषान्तर 17 // PA D00000000000000000 पुण्याढ्य शरीरमाथी (पहार निकळ्यो.) // 416 // , चरित्र रे दूषयसि मे धर्म मद्भक्तानवमन्यसे / भुक्ष्व शीघ्रं न चेन्मुण्डं शतखण्डं करोमि ते // 416 // 171 / ___अन्वयः-रे! मे धर्म दूषयसि मद्भक्तान् अवमन्यसे, शीघ्र भुक्ष न चेत् ते मुंडं शतखंडं करोमि. / / 416 // अर्थ:-अरे! (तुं) मारा धर्मने दृषित करे छे! तथा (आ) मारा भक्तोनी अवगणना करे छे! तुरत भोजन कर नहितर तारा मस्तकना सेंकडो गमे टुकडा करी नाखं छु. // 416 // इत्याक्षिप्य गिरा तीक्ष्णरूक्षया मंच केशवम् / सोऽयमुद्गमयामास मुद्गरं विकरालदृक् // 417 // अन्वयः-इति तीक्ष्णरूक्षया गिरा मंच केशवं आक्षिप्य विकरालदृक् सः अयं मुद्गरं उद्गमयामास / / 417 // अर्थः-एवी रीते आकरां अने निर्दय वचनथी तुरत (ते) केशवने धमकावीने भयंकर आंखोवाळो ते पुरुष मुद्गर उगामवा लाग्यो. 2) हसन्हंसानुजोऽथाह किं क्षोभयसि यक्षमाम् / भवान्तरोद्भवद्भरिभाग्यद्धैर्मृत्युभीः क्व मे // 418 // Docience 000GXOOOOOOOOOOO00000 P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust