________________ 0999999999999999999 पुण्याव्य चरित्रं सान्वय भाषान्तर 1169 / अर्थः-ज्या आवीरीते रात्रिए भोजन कराय, ते उपवास पण न होइ शके, केमके धर्मशास्त्रोमा दिवसे अने रात्रिए भोजन न करवाथीज उपवास कहेलो छे. // 410 // धर्मशास्त्रविरुद्धं ये तपः कुर्वन्ति दुर्धियः / ते यान्ति दुर्गतिं धूर्ताः कूटद्रव्यकृतो यथा // 411 // अन्वयः--ये धर्मशास्त्रविरुद्धं तपः कुर्वति, ते दुर्धियः, यथा कूटद्रव्य कृतः धूर्ताः दुर्गतिं यांति. // 411 // अर्थ:-जेओ धर्मशास्त्रथी विपरीत तप करे छे. ते दुर्बुदिओ खोटा सिक्का पाडनारा धूर्वोनी पेठे दुर्गतिमा जाय छे. // 411 // तेऽप्यशंसन्नसावेव देवस्यास्य व्रते विधिः। युक्तैरपि न शास्त्रोक्तर्विरच्यास्य विचारणा // 412 // -अन्वयः-ते अपि अशंसन्, अस्य देवस्य व्रते असौ एव विधिः, युक्तः अपि शास्त्र उक्तैः अस्य विचारणा न विरच्या. 41 अर्थः-ते यात्रालुओए पण कधु के, आ देवना व्रतमा एज विधि छे. माटे सस्य एवा पण शास्त्रोनां वचनो वडे आ संबंधि विचार करवानो होयज नहीं // 412 // ... sterenterteretenerciseeeeeemented Jun Gun Aaradhak Trust A P P.AC.Gunratnasun M.S.