________________ Mee MERO पुण्याय चरित्र सान्वय भाषान्तर // 16 // Kaleckersiac अन्वयः-(हे) पाथ! एहि? एहि भोज्यं आदेहि नः पुण्यानि देहि? आरब्धपारणाः वयं क मं अतिथिं पश्यामः ||403 // अर्थ:-हे पथिक! तुं आव आव? अने भोजन ग्रहण कर तथा अमोने पुण्य आप? पारणाभाटे तैयारी करता एवा अमो (को अतिथिनी बहु राह जोइए छीये. // 403 // . कीहरबत व्रतं यस्य निशि पारणमित्यथ / केशवो विकसत्पुण्यसन्तानस्तानभाषत // 404 // . अन्वयः-अथ विकसत्पुण्यसंतानः केशवः तान् इति अभाषत, बत यस्य निशि पारणं, कीडग व्रतं / / 404 // . . अर्थः-त्यारे विकस्वर थयेल छे पुण्यपरंपरा जेनी एवा ते केशवे तेओने एम कयु के, अरे! जेनुं रात्रिए पारj थाय, ए ते (आ तमारु) कयुं व्रत छे. // 404 // ... तेऽवदन्माणवाख्योऽयं यक्षो दक्षो जगन्मुदे / स्यादस्याद्य महायात्रा पुण्यपात्रायितस्थितिः // 405 // अन्वयः-ते अवदन् जगन्मुदे दक्षः अयं माणवाख्यः यक्षः, अस्य अद्य पुण्यपात्रायितस्थितिः महा यात्रा स्यात.॥४०५॥ 0000000 पाई Dec0000000DECE00000 MAYahate. pinternant