________________ 0000000000000000000 पुण्यादय में निकली गयो. 1 398 // चरित्रं 1164 / सान्वय भाषान्तर 164 // हंसं तमनुगच्छन्तं कृच्छाधृत्वा यशोधनः। प्रलोभ्य बहुभिर्वाग्भिभोजनाय न्यवीविशत् // 399 // * अन्वयः-तं अनुगच्छंत हंसं कुच्छात् धृत्वा बहुभिः वाभिः प्रलोभ्य यशोधनः भोजनाय न्यकी विशत् // 399 // . . अर्थः-तेनी पाछळ जता हंसने बलात्कारे पकडी राखीने, तथा घणां घणां वचनोथी ललचावीने यशोधने भोजन करवामाटे बेसाड्यो. // 399 // ... पुरग्रामनयारामविलङ्कनघनक्रमः। स ययौ सप्तमेऽप्यहि तथैबावेशवान्पथि॥४०॥ ___ अन्वयः-पुर ग्राम नग आराम विलंघन घनक्रमः सः सप्तमे अपि अह्नि तथा एवं आवेशवान् पथि ययौ // 40 // अर्थ:--नगर, गाम, पर्वत, तथा बगीचाओने उल्लंघवामा उतावळी चालवाळो एवो ते केशव सातमे दिवसे पण तेवीजीते पोताना नियममा निश्चल थयो. थको मार्गे चालवा लाग्यो. // 400 // Scieramanced olele0010101010101010012180202 in Gum Ararak