________________ 000000000000000000 पुण्याढय चरित्र इति ज्यायांसमुद्भाव्य भ्रातरं कृत्यकातरम् / व्याचष्ट केशवः कष्टजनकं जनकं प्रति // 392 // अन्वयः इति ज्यायांस भ्रातरं कृत्य कातरं उद्भाव्य केशवः कष्टजनक जनकपति व्याचष्ट. // 392 / / / अर्थः-एवीरीते (पोताना) म्होटा भाइ हंसने क्षुधाथी कायर थयेलो जाणीने केशव (पोताने) कष्ट आपनारा पिताने सान्वयन भाषान्तर 116 // शवः कष्टजनक जनकपति व्या B) कहेवा लाग्यो के, // ३९ताना ) म्होटा भाइ हंसने यस्ते सुखकरो भावः करोमि तमहं पितः / न ते सुखायते तत्किं यन्मे पातकघातकम् // 393 // ___ अन्वयः-(हे ) पितः ! यः भावः ते सुखकरः, तं अहं कसेमि, मे यत् पातकपातकं तत् ते किं न सुखायते ? // 393 // अर्थः-हे पिताजी! जे कार्य आपने सुखकारी छे, ते हुं करुं छु. तथा मारु ( रात्रिभोजनना त्यागरूप ) जे कार्य पापोनो। विनाश करनारुं छे, ते आपने केम रुचतुं नथी ? // 39 // . यजनन्यादिवात्सल्यं तच्छल्यं धर्मकर्मणः / स्वकर्मफलभुक्सर्वः कः कस्यार्थे करोत्वधम् // 394 // Germaneeta D 00000000000000000000 Jun Gun Aaradhak Trust SYNOPP.AC.GunratnasuriM.S.