________________ peeeeeeGEERIESEISISTEIN पुण्याढय चरित्रं 116017 सान्वय भाषान्सर 1160 अर्थ:-- साविना आगला अर्धा पहोरने पंडितो " पदोप" कहे छे, अने पाछला ( अर्धा पहोरने ) "प्रत्यूष"कहे छे, अनेक तेथी ते रात्रि " त्रियामा " (त्रण पहोरनी.) प्रसिद्ध छे. // 390 // इदानी भोजनं तद्वां न निशाभोजनं भवेत् / यामिनीघटिकायुग्ममपि नाद्यापि याति यत् // 391 // अन्वयः-तत इदानी वां भोजनं निशाभोजनं न भवेत् , यत् अथ अपि यामिनीघटिकायुग्मं अपि न याति. // 391 // अर्थ:-माटे आ वखते तमारुं भोजन ( कई ) रात्रिभोजन संभवीशके नही, केमके हजु वे घड़ी रात्रि पण गइ नथी. // 391 // इति तातगिरा भिन्नः क्षुधा च विधुरीकृतः। हंसः क्लेशहतावेशः केशवाननमैक्षत // 392 // . ____ अन्वयः-इति तातः गिरा भिन्नः, च क्षुधा विधुरीकृतः, क्लेश हतावेशः हंसः केशव आननं ऐक्षत. // 392 / / अर्थ:-एवीरीतना पितानों वचनथी नरम पडेलो, तथा क्षुधाए व्याकुल करेलो अने कष्टथी नाहिम्मत थयेलो हंस केशवना मुख तरफ जोवा लाग्यो. / / 392 // .. DESEEIGISISISIGISSIBIGISCISION Jan Gun Aaradhak te KAMANAROO