________________ पुण्याय C) अर्थः-खरेखर तमारा रात्रिभोजन त्यागना नियमने हुं जाणतो नथी, अने तेथीज आवां अतिकष्ट आपनास कार्यमा ( में सान्वय चरित्रं - तमो बन्नेने जोड्या. // 385 // भाषान्तर 158) 158 यदभुक्तवतो क्ते युवयोर्न जनन्यपि / अद्यास्यास्तदभूषष्ठ उपवासः प्रयासकृत् // 386 // ' अन्वयः-युवयोः अभुक्तवतोः जननी अपि यत् न भुक्ते, तत् अद्य अस्याः प्रयासकृत षष्ठः उपवासः अभूतः // 386 // अर्थः-(वळी) तमो बन्नेना नही जमवाथी(तमारी)माता पंण जे जमती नथी, तेथी आजे तेणीने पण कष्टदायी छटो उपवासथयोछे. तद्वां षण्मासजन्मासौं स्वसा कुसुमकोमला / स्तन्यान्यलभमानाद्य कियन्म्लाना विलोक्यतां // 38 // ... अन्वयः-तत् षण्मासजन्मा कुसुमकोमला वां असौ वसा स्तन्यानि अलभमाना विलोक्यता ? अद्य कियन्म्लाना ! // 387 // अर्थः-अने तेथी (फक्त) छ मासनीज उमरनी, अने पुष्पसरखी कोमल तमारी आ बेहेन धावण नही मळवाथी जुओ के, आजे केटली. दुबळी पडी गइ छे! / / 387 // . GELSO SCIETECEISINESSISE SEEEE