________________ 999999999999999999 पुण्याय चरित्रं सान्वय भाषान्तर / 157) अन्वयः-पष्ठे अहनि निशा आरंभे इमौ गृहं संमेजतुः, च यशोधनः विनयेन श्लक्ष्णं वचः आचष्ट. // 383 / / अर्थः-छठे दिवसे रात्रिना प्रारंभ वखते ते बन्ने भाइओ (ज्यारे) घेर आव्या, (त्यारे) यशोधन शेठ (तेओने) विनयथी स्नेहना डोळवाळु वचन कहे वा लाग्यो के, // 383 // वत्सौ यत्सौख्यदं मे स्यादिष्टं स्पष्टं तदेव वाम् / इति प्रत्ययतः किंचिद्वच्मि तच्च विरच्यताम् // 384 // ____ अन्वयः-(हे) वत्सौ! मे यत् सौख्यदं स्यात्, तत् एव वा इष्टं स्पष्टं, इति प्रत्ययतः किंचित् वच्मि, तत् च विरच्यता. // 38 // अर्थ:-हे पुत्रो ! मने जे सुखकारी थाय, तेज तमोने मिय छे, एम स्पष्ट जणाय छे, एवी (मने) खातरी थवाथी (हुँ) तमोने कंइंक कहुं छु, ते मुजब करो ? // 384 // निशाहारपरीहारं न वेद्मि युवयोव॒वम् / तदीशि भृशक्लेशे युवां कार्य नियोजितौ // 385 // . अन्वयः-ध्रुवं युवयोः निशा आहार परिहारं न वेभि, तत् ईशि भृशक्लेशे कार्ये युवां नियोजितो. // 385 // stolice Dececcccccsaceaseenceta Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.GunratnasuriM.S