________________ DO0000000000000000 पुण्याढय चरित्रं प्र सान्वय भाषान्तर / 154 // 154 // 00000000 ) ___ अन्वयः-( है ) मुतौ ! तर्हि संपति युवां भोजनं न लप्स्येथे, इति मात्रा उक्तौ तौ मौनं कृत्वा ततः बहिः जग्मतुः // 375 // अर्थ:-हे पुत्रो त्यारे तो हमणां तमोने भोजन मळशे नही, एम माताए कहेवाथी तेओ मौन रही त्यांथी बहार चाल्या गया.३७॥ . श्रेष्ठिनः सुतयोर्वाक्यं मिथ्यादृष्टेर्जगत्प्रियम् / विशेषादोषकृजज्ञे ज्वरार्तस्य हविर्यथा // 376 // अन्वयः-यथा ज्वरातस्य हविः, सुतयोः जगत्प्रियं वाक्यं मिथ्यादृष्टेः श्रेष्ठिन: विशेषात् दोष कृत् जज्ञे. // 376 // अर्थ:-जेम ताववाळाने खवराबेलुं घी, तेम ते पुत्रोनुं जगतने गमतुं एवं पण ते वाक्य मिथ्यादृष्टि एवा ते यशोधन शेठने विशेष प्रकारे दोष उत्पन्न करनारुं थयु. // 376 // भवत्या भोजनं देयं रजन्यामेव पुत्रयोः / इत्थंमत्यर्थशपथैः श्रेष्ठी रम्भामवारयत् // 377 // ____ अन्वयां-भवत्या पुत्रयोः रजन्यो एव भोजनं देयं, इत्थं अत्यर्थशपथैः श्रेष्ठी रंभा अवारयत्. / / 377 // अर्थ:-तारे (आ) पुत्रोने फक्त रात्रिएज भोजन आप, एम आकरा सोगनो आपीने ते यशोधन शेठे रंभाने निवारण कर्य. 1377 // 00000000000000000000 Marathi M aithikatunts..MALDaiMailnalo.indidian....