________________ 0000000000000000000 पुण्याय चरित्रं सान्षय भाषान्तर 1152 // 1152 // 00000000 अन्वय:-तत् अवश्यं सुतौ द्वित्रः दिनः बुभुक्षातों कृत्वा तं रात्रिभोज्य त्यागः कदाग्रहं त्याजयिष्यामिः // 370 // , अर्थः-माटे खरेखर आ पुत्रोने बे त्रण दिवसोमुधी भुख्या राखीने ते रात्रिभोजनना त्यागना दुराग्रहने छोडावीश. // 370 // एवं चिन्तयता-तेन सभा स्थालार्थमागता / सुतयोर्भोजनं देयं नेति च्छन्नं न्यवार्थत // 371 // अन्वयः-एवं चिंतयता तेन स्थालार्थ आगता रंभा सुतयो भोजनं न देयं, इति छन न्यवार्यत. // 371 // अर्थ:--एम विचारता एवा ते यशोधने स्थाला लेवामाटे (ओरडामा) आवेली रंभाने "तारे पुत्रोने भोजन आपq नही" शम गुप्तरीते निवारण कयु. // 71 // भर्तुसज्ञावशादेषा तावेल्यावददित्यथ / अन्नपाकोऽधुना भावी पक्वान्नाद्यस्ति वस्तु न // 372 // ...अन्वया-अथ अर्तुः आज्ञावशात् एषा एत्य तौ इति अवदत् / अधुना अन्नपाका भावी, पक्वान्न आदिवस्तु न अस्ति. // 37 // अर्थः- हवे स्वामिनी आहाने वश थवाथी तेणीए (बहार )आवी ते पुत्रोने एम कथु के, रसोइ हजु हवे थशे, अने पक्वान्नाआदि 00000000000000000000 SEP.AC.Sunratnasuri M.S. Vaishakickasini n diawaatementionedaalanilwsni.lion.imaadamian NishalGAANK