________________ 023X2000990099900000 पुण्याढ्य चरित्र / 1480 सान्वय . भाषान्तर 1148 अर्थः-ते आवी रीते-पृथ्वीरूपी बीना कुंडल सरल, अने मोतीनी माळा सरखा गढथी घेरायेलु कुंडिनपुर नामे नगर छे. 360. तस्मिन्यशोधनो नाम यशोधवलितावनिः / बभूव नवद्रव्योपार्जकचूडामणिर्वणिक् // 361 // अन्वयः--तस्मिन् यशोधवलितावनिः, नव द्रव्योपार्जक चूडामणिः यशोधनः नाम वणिक् बभूव // 361 // अर्थ:-ते नगरमां यशवडे श्वेत करेल छे पृथ्वी जेणे, तथा नवु द्रव्य उपार्जन करनाराओमा मुकुट सरखो यशोधन नामे वणिक ( रहेतो) हतो. // 361 / / अभूतां भुवनानन्दचन्दनौ तस्य नन्दनौ / रम्भाकुक्षिसरोम्भोजश्रोहंसौ हंसकेशवी // 362 // EN) अन्वयः-तस्य भुवनानंद चंदनौ, रंभा कुक्षि सरः अंभोज श्रीहंसौ हंसकेशवौ नंदनौ अभूतां. // 362 // - अर्थ:-ते शेठने जगतने आनंद करवामां चंदन सरखा, तथा रंभानी कुक्षीरूपी तळावमा रहेला कमळने शोभावनारा हंससरखा GD) हंस अने केशव नामना चे पुत्रो हता. // 362 // 00000000 08233000000000000000