________________ peleREMEMEERRORIENDRISMENTS पुण्यादय चरित्र 1466. सान्वय भाषान्तर 1146 खोडरूप मेल घोइ नाखवो. // 355 // . .. इदं निगदता तेन तद्दत्तं घुसदा फलम् / आदाय नृपतिः प्रीत्या प्रत्याह स हसन्वचः // 356 // अन्वयः-इदं निगदता तेन धुसदा तत् फल दत्तं, सः नृपतिः प्रीत्या आदाय हसन् वचः प्रत्याह. // 356 // अर्थः-एम कहेता एवा ते देवे ते फल (तेने) आप्यु. (त्यारे) ते राजा प्रीतिथी ते लेइने हसतो थको वचन बोल्यो के, // 356 // आसन्नमुक्तपशुतासुलभं मोहमुद्वहन् / किं विवेकिन्फलखादं निशायां दिशसि स्वयम्॥३५७॥ अन्वयः-(हे) विवेकिन् ! आसन्न मुक्त पशुता सुलभ मोहं उद्वहन स्वयं निशायां फलखादं किंदिशसि? // 357 // अर्थ:-हे विवेकी! तरतमांज छोडेला पशुपणाने लायक एवी मूढताने धारण करतो थको (तुं) पोते रात्रिए फल खावानो उपदेश केम आपे छे? // 357 // . सुरमुख्य ममेदानी वपुषः पाटबेन किं / नैन्यादिलाभलोमेऽपि जन्यं रजनिभोजनमः // 35 // .. QU00300 - 000000000000000000 MisshuhRAA NAVA