________________ पुण्याढय चरित्रं सान्वय भाषान्तर / 142 // 142 // 000000000000X समूहथी मूढ थयेलो हुं (ए) चिंतवया लाग्यो के, 346 // नित्याहृतनृपद्रव्या न व्याधिं ये हरन्ति मे / तान्वैद्यान्यदि पश्यामि तन्नयामि यमालयम् // 347 // __ अन्वयः-नित्याहृतनृपद्रव्याः ये मे व्याधि न हरंति, तान वैद्यान् यदि पश्यामि, तत् यमालयं नयामि. // 347 // अर्थ:-हमेशा राजानु (हरामर्नु) द्रव्य खानारा, एवा जे यो मारी व्याधिने मटाडता नथी, तेओने जो हुं (आ समये) जोर्ड तो यमने घेर मोकलावं, (अर्थात् मारी ना.) / / 347 / / ... BY इति रौद्रतरथ्यानरधोऽधःपातिनं तदा। मामुद्दधार श्रीधर्मस्त्वगिरा जातजागरः॥ 348 // GENR अन्वय:--तदा इति रौद्रतरध्यानः अधः अध: पातिनं मां त्वगिरा जातजागरः श्रीधर्मः उद्दधार. // 348 // . अर्थ:--ते वखते एवी रीते वधारे वधारे रौद्र ध्यानथी नीचे नीचे पडता एवा मने, तारा वचनथी जागृत थयेला श्रीजैनधर्मे औषर्यो, (अर्थात् नरकमा जतो बचाव्यो.) // 348 // Geeeeeeeeeeeeee SIGunratnasura MS. dun Gun Aaradhak Trus! SAdounlod