________________ D000000000000000000 पूयाय सान्वय भाषान्तरे // 41 // चरित्र 000001010 अर्थ:--पछी अति आश्चर्य पामेला ते राजाए तेनुं वृत्तांत सांभळवाने ( पोताना ) बन्ने कानोने खजवाळी सावधान करी तेम कयु, ( अर्थात् ते शय्यापर बेठो.) // 34.4 / / स्वान्तस्थसुकृताम्भोधिसुधोमिनिभवागिभः। अवदन्मदमत्तालिकण्ठतालान्कठोरयन् // 345 // ... अन्वयः-- स्वातस्थ सुकृत अंभोधि सुधा उमि निभ वाक् इभः मदमत्त अलि कंठ तालान कठोरयन् अवदत् / / 345 // अर्थः-हृदयमा रहेला पुण्यरूपी अमृतना महासागरना मोजांओ सरखी वाणीवाळो ते हाथी, मदोन्मत्त भमराओना कंठना अवाजनी पण कठोरता जणावतो थको बोलवा लाग्यो के. // 345 / / राजन्नाजन्मनिर्व्याजध्यातधर्मपिधायिना / मृत्युक्षणे व्यथौधेन मोहितोऽहमचिन्तयम् // 346 // अन्वयः-(हे) राजन्! मृत्युक्षणे आ जन्म निर्व्याज ध्यात धर्म पिधायिना व्यथा ओघेन मोहितः अहं अचिंतयं / / 346 // अर्थ:-हे राजन्! मृत्युसमये छेक जन्मथी मांडीने निष्कपटपणे पाळेला धर्मने (पण) आच्छादित करनारा एवा व्याधिना DOGGGeeccccxerciseased HRP-AR GuaratnasuriM.S. Jun Gun AD