________________ सान्वय भाषान्तर / 134 // पुण्याढय दुःखदीर्घ दिनमयं गमयित्वा कथंचन / नृचन्द्रश्चन्द्रशालायां निशि शय्यामशिश्रियत् // 328 // चरित्रं अन्वयः--अयं नृचंद्रः दुःखदीर्घ दिनं कथंचन गमयित्वा निशि चंद्रशालायां शय्या अशिश्रियत्. / / 328 // 134 // अर्थः-पछी ते राजा दुःखथी लांबा थइ पडेला ते दिवसने मुंशीबते निर्गमनं करीने रात्रिए चंद्रशालामा शय्यापर जई सतो. * श्वासोच्छवासोल्लसच्छोकशंकुसंकुल्यमानहृत् / निद्रामलभमानोऽयमित्यन्तः समचिन्तयत्॥३२९ // अन्वयः-श्वास उच्छवास उल्लसत् शोक शंकु संकुल्यमान हृत्, अयं निद्रा अलभमानः अंतः इति समचिंतयत् / / 329 / / अर्थः-श्वासोश्वासथी उछळता एवा शोकरूपी खीलाथी वींधाइ जतुं छे हृदय जेनु, एवो आ राजा निद्रा न आववाथी (पोताना) हृदयमा एको विचार करवा लाग्यो के, // 329 // बहुदेशमहैश्वर्यश्रियापि मम किं तया / मृतेऽस्मिन्सिन्धुरे कृत्तधम्मिल्लेव बभूव या // 330 // अन्वयः-तया बहु देश महा ऐश्वर्य श्रिया अपि मम किंी असिन् सिंधुरे मृते या कृत्वधमिल्ला इव बभूव. // 330 // SSSSSS 000000 M.in AGE ta eatuut.chandaknitialithpot.