________________ 0000000000RRY SE पुण्याढय चरित्रं सान्वय भाषान्तर 1133 // का अर्थ:--धर्मयी तेजस्वी थयेलो आ हाथी जाणे स्वप्नावस्था भोगवतो होय नही? तेम सुखे समाधे प्राप्त थयेली लांबी निद्रावडे ( मृत्यु पामीने ) सौधर्मदेवलोकमा गयो. // 325 / / AU चन्दनागुरुकर्पूरकस्तूरीणां भरैरिभम् / आ चके शोकाश्रुप्लुतदृग्नृपः // 326 // अन्वयः-शोक अश्रु प्लुत दृग् नृपः अद्वि चंदन अगुरु कपूर कस्तूरीणां भरैः इभं वहि हुतं चक्रे. // 326 // अर्थः ( पछी ) शोकना अश्रुओथी मीनी थयेली आंखोवाळा राजाए दिवस उग्ये चंदन, अगुरू, कपूर तथा कस्तूरीना समूहोथी। ते हाथीना शबनो अग्निसंस्कार कराव्यो. // 32 // . तस्य कालोचितां धर्मबद्धो बन्धोरिव क्रियाम् / विधाय दुःखदीनात्मा ययौ धाम धराधिपः // 327 // अन्वयः-बंधोः इव तस्य कालोचितां धर्मचद्धा क्रिया विधाय दुःख दीन आत्मा धराधिपः धाम ययौ. // 327 // अर्थ:-(पछी)भाइनी पेठे ते हाथीनी समयोचित धार्मिक क्विया करीने दुःखथी खेद पामतो थको ते राजा(पोताना)स्थाने गयो.३२७ 00000 SECSIGGESoccecomcaceD PP.AC.Gunratnasun M.S. Jun Gun Aaradhak Trust