________________ OX000000000000000 सन्वय भाषान्तर 1131 // पुण्यात्य अर्थ:-ते वखते रोगना घेराइ जवाथी थयेली व्याधिवडे, अने निर्बलताथी धैर्य तजीने ते हाथी आंखो वींचीने दीनस्वरे गात्रचरि भंग करवा लाग्यो. // 320 // १३श अथाह पृथिवीन्दुस्तं बन्धो रोगबलाकुलः। मा धैर्यतः पत स्तम्भ इव धर्मोऽवलम्ब्यताम् // 321 // _ अन्वयः-अथ पृथिवींदुः तं आह. (हे ) बंधो ! रोग बलाकुलः धैर्यतः मापत ? स्तंभः इव धर्मः अवलंब्यता.॥ 321 // अर्थ:-त्यारे राजाए तेने कह्यु के, हे बंधु रोगनी प्रबलताथी व्याकुल थइ तुं धीरज छोड नही, स्तंभनीपेठे धर्मर्नु अवलंबन कर.१३२१ अङ्गात्क्लेशावली रङ्गादुदस्य न्यस्यतां मनः।नमस्कारपरावर्ते तदर्तेरुद्भवः कुतः॥ 322 // अन्वयः-अंगात् क्लेशावलीः उदस्य रंगात् नमस्कार परावर्ते मनः न्यस्यता, तत् अर्तेः उद्भवः कुतः / / 322 / / अर्थः-(वळी तुं ) शरीरमाथी दुःखनी श्रेणिने दूर करीने आनंदयी नवकार गणवामा मन परोव ? अने तेथी तने व्याधिनी, CENT) उत्पतिज क्या रही ? ( अर्थात् तने व्याधि नही थाय. ) // 322 // . .. Selain06 00000000 000000000OOOOXXXX0000 P. Ac Gunratnasuri MS Jun Gun Aaradhak Trust