________________ / oe0000000OMExeeeeees - पुण्याढय चरित्रं सान्वय भाषान्तर // 13 // ...अन्वयः-इत्थं शम सुखांभोधि मग्नः सः द्विपोत्तंस बोधि सुधां पिबन स्वं शक्रात् अपि धन्यं अमन्यत. // 18 // अर्थः-एवीरीते शांतिसुखना महासागरमा मग्न थयेलो ते हस्तिराज ज्ञानरूपी अमृतने पीतो थको पोताने इंद्रथी पण भाग्यशाली मानवा लाग्यो. // 318 // तद् वृंदं करिणः पावें निशीथे सुप्तमन्यदा। प्रदीप इव भूमीपः स्नेहादेकस्त्वजागरीत // 319 // . अन्वय:-एकदा करिणः पार्श्व तत् वृंद निशीथे सुप्तं, एकः भूमीपः तु स्नेहात्. प्रदीपः इव अजागरीत. // 319 // अर्थः-एक दिवसे ते हाथीनी आसपास रहेलो (लोकोनो) ते समूह मध्यरात्रीए निद्रावश थयो, अने फक्त एक राजाज स्नेहथी (तैलथी) दीपकनी पेठे जागतो हतो. // 319 // रोगाभोगव्यथावीर्यश्लथधैर्यस्तदा गजः / परिमीलितहग्देहभङ्गं दीनस्वरोऽकरोत् // 320 // __अन्वया-तदा रोग आभोग व्यथा अवीर्यश्लथ धैर्यः गजः परिमीलित दृग् दीन स्वरः देहभंग अकरोत् // 320 // 02002000 000000000000000000 PAAGuna MS Jun Gun Aaraamat .. .. ... ..