________________ 0000000000000000000 पुण्याढय। चरित्रं / 129/ भाषान्तर 129 00000000 छटकाव देवसव्यो. // 315 // श्राविका भावसाराश्च बन्दिनो गाथकास्तथा। इतश्चेतश्च तस्योच्चैर्जगुर्धर्मोल्बणान्गुणान् // 316 // अन्वयः-- तस्य इत:च इत: च भावसाराः श्राविकाः, बंदिनः, तथा गाथकाः उच्चैः धर्म उल्बणान् गुणान् जगुः // 316 // अर्थ-बळी ते हाथीनी आसपास भाविक श्राविकाओ, माटलोको, तथा कथाकारो उंचा स्वरथी धार्मिक स्तवनो बोलावा लाग्या. 316 भूरयः सूरयस्त्वस्य पुरस्तथ्यगिरः कथाः / कथयन्ति स्म पूर्वर्षिकीर्तिपीयूषवर्षिणीः // 317 // “अन्वयः-"तु भरया सूरयः अस्य पुरः पूर्व ऋषि कीर्ति पीयूष वर्षिणीः तथ्यगिरः कथाः कथयतिस. // 317 // अर्थ:-वळी घणा आचार्यो ते हाथीनी आगळ पूर्वे थइ गयेला ऋषिओनी कीर्तिरूपी अमृतने वरसावनारी सत्य वचनोवाळी कथाओ कहेवा लाग्या. // 317 // इत्थं शमसुखाम्भोधिमग्नो बोधिसुधां पिबन् / शकादपि द्विपोत्तंसः स्वं स धन्यममन्यत // 318 // // Jun Gun Aaradhak Trust MP.P.AC.Gunratoasuri M.S.