________________ peaceCCCCORDIESID0000000 यादय | पुण्यादय चरित्र | 124 भूमिपर कटाक्षाभस्तस्यापरि स्वर्ग लक्ष्मी कटान कटाक्षी सरखो, सान्वय भाषान्तर / 128 भूमिपर पोतानी छाती राखीने ते हाथी ( त्यां ) बेठो. // 314 // . स्वर्गलक्ष्मीकष्टाक्षाभस्तस्योपरि करिप्रभोः / पुष्पालम्बप्रभाशुभ्रो नृपेणाकारि मण्डपः॥ 314 // - अन्वयः-नृपेण तस्य करिप्रभोः उपरि स्वर्ग लक्ष्मी कटाक्षाभः पुष्पालंच प्रभाशुभ्रः मंडपः अकारि. // 314 // अर्थ:-( पछी) राजाए ते हस्तिराजनी उपर स्वर्गनी लक्ष्मीना कटाक्षी सरखो, तथा ( अंदर ) लटकावेला पुष्पोना (गुच्छाओनी ) कांतिथी श्वेत थयेलो मंडप कराव्यो. // 314 // तस्याशुभविपक्षस्य पार्श्वपक्षेषु पार्थिवः / दापयामास सुरभिद्रव्यद्वघटाछटाः // 315 // अन्वय:--अशुभविपक्षस्य तस्य पार्श्वपक्षेषु पार्थिवः सुरभि द्रव्य द्रव घटा छटाः दापयामास. // 315 // अर्थ:--अशुभ एटले मृत्युने (सूचवनारो छे ताव रूपी ) शत्रु जेनो, एवा ते हाथीनी आसपास जमीनपर, ( अथवा अशुभ एटले सूर्यना तापआदिकने अटकावनारी ते मंडपनी चारे बाजुए बांधेली कनातपर) ते राजाए सुगंधी पदार्थोना जलसम्हनो 00000000 00000000000000000000 समri ant arni ti. irala