________________ 000000000000000000000 पुण्याय चरित्र 125 सन्वय भाषान्तर 125) अन्वयः-(हे) राजन् ! युष्मत् जीवितस्य अपि जीवितं, रिपुयशःशुंभी यः कुंभी राजति, सः ज्वरजर्जरः अभवत् // 307 // अर्थ:-हे राजन् ! आपना जीवितना पण जीवित सरखो, (अर्थात् जीवथी पण वहालो) तथा शत्रुओना यशनो नाश करनारो, जे हाथी शोमे छे, ते तावथी पीडित श्रयेलो छे. // 307 / / . . ततः पितुरिव भ्रातुरिव मातुरिव ज्वरम् / आकर्ण्य व्याकुलोऽभ्यणे गजस्य स ययौ नृपः॥ 308 // अन्वयः-ततः पितुः इब, भ्रातुः इच, मातुः इव गजस्य ज्वरं आकर्ण्य व्याकुलः सः नृपः अभ्यणे ययौ. // 308 // अर्थ:-पछी पिताने जेम, भाइने जेम, तथा माताने जेम, तेम ते हाथीने ताव आवेलो सांभळोने गभरायेलो ते राजा(तेनी)पासेगयो. अथाह पृथिवीजानिर्यः कुर्यान्नीरुजं गजम् / दद्यामद्यात्मनस्तस्मै राज्याधं राज्यमेव वा // 309 // अन्वयः-अथ पृथिवीजानिः आह, यः गज नीरुजं कुर्यात, तस्मै अध आत्मनः राज्य अर्ध वा राज्यं एव दद्या. // 309 // अर्थः-पछी राजाए कयु के, जे कोद (आ) हाथीने रोगरहित करे, तेने आजे मारुं अर्धं राज्य अथवा आर राज्यज आपी देउं. Crococc 00000000000000000000 Jun Gun Aaradhak Trust AAP P .P.AC.Gunratnasuri M.S.