________________ 00029209000000000000 पुण्यादय / चरित्रं 124 // सान्वय भाषान्तर 1124 अर्थ:-होंसेहोंसे धर्मकार्य करनारो ते हाथी साधुओ तथा श्रावकोना समूहमा रहीने पर्वोने दिवसे जिनेश्वर प्रभुनी यात्रा तथा उत्सवआदिक करवा लाग्यो, // 304 // इत्येष करिणामिन्द्रः करुणामुद्रिताशयः। समयान्गमयामास बहून्राज्ञा बहूकृतः // 305 // - अन्वयः-करुणामुद्रिताशयः, राज्ञा बहूकृतः एषः करिणां इंद्रः इति बहून् समयान् गमयामास. // 305 / / अर्थ:-दयायुक्त छे (मननो) अभिप्राय जेनो, तथा राजाथी बहु सन्मान पामेलो आ हस्तिराज घणो समय व्यतीत करवा लाग्यो. अन्येार्गजवैद्यस्तं गजमस्तंगतोद्यमम् / वीक्ष्य ज्वरभराक्रांतं राज्ञे व्यज्ञपयद्भुतं // 306 // अन्वयः--अन्येयुः गजवैधः अस्तंगत उद्यम तं ज्वर भराक्रांतं वीक्ष्य द्रुतं राज्ञे व्यज्ञपयत् // 306 // अर्थः-(पछी) एक दिवसे गजवैद्ये उद्यमरहित थयेला ते हाथीने ताव चडवाथी पीडातो जोइ तुरत राजाने ते हकीकत जाहेर करी. राजन् राजति यो युष्मजीवितस्यापि जीवितम् / कुम्भी रिपुयशःशुम्भी सोऽभवज्ज्वरजर्जरः॥ 307 // SCIC0000 DOSSESSOCICIDEOSEDGISM