________________ pecieeeeeeeeee पुण्याय सन्वय भाषान्तर 'अन्वयः-सः द्विपः जंतुकृपया पदात् पदात् मंदं चलन्, तत् अद्य अपि तत्क्रमेण एव वारणा: मंदगतयः // 302 // चरित्रं अर्थः-ते हाथी पण जीवदया माटे धीमा धीमा पगलाथी चालतो हतो, अने तेथी आजे पण तेने अनुसारीनेज हाथीओ धीमी -12300 गतिवाळा ( देखाय छे.) / / 302 / / . मर्यादायन्त्रिताहारविहारो विदधेऽन्वहम् / शमजातमनःशैत्यः स चैत्यपरिपाटिकाम् // 303 // . अन्वय:--पर्यादा यंत्रित आहार विहारः, शम जात मनः शैत्यः सः अन्वहं चैत्यपरिपाटिको विदधे. // 303 // अर्थः-मर्यादावडे नियमित करेल छे भोजन अने हरवु फरवू जेणे, तथा शांतिथी जेना हृदयमा शीतलता थयेली छे, एवो ते हाथी हमेशा जिनमंदिरोनी यात्रा करतो हतो. // 303 / / ............... . ... द्विपः स पर्वसूद्गर्वधर्मकर्मा विनिर्ममे / साधुश्राध्धौघमध्यस्थो जिनयात्रोत्सवादिकम् // 304 // अन्वयः-उद्गर्वधर्मकर्मा सः द्विपः साधुश्राद्धोधमध्यस्थः पर्वसु जिनयात्रा उत्सवआदिकं विनिर्ममे. // 304 // 00000000 00000000000000000000 Jun Gun Aaradhak Trust IPP.AC.GunratnasuriM.S.