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________________ peeIOSEDICICICICIES - व्रतानां सेवने शिक्षा दक्षायास्मै प्रदाय सः / सद्गुरुपियामास विशेषादिति तं नृपम् // 294 // 0 सान्वय पुण्याढय चरित्र 120 // भाषान्तर 120 - अन्वयः--सः सद्गुरुः अस्मै दक्षाय व्रतानां सेवने शिक्षा प्रदाय, तं नृपं विशेषात् इति ज्ञापयामास. // 294 // . अर्थः--(पछी ) ते उत्तम गुरुमहाराजे ते चतुर राजाने (बारे ) व्रतोना पालन पाटे शिखामण आपीने विशेष प्रकारे एम . जणाव्यु के, // 294 // 2 अयं सम्यक्त्वतत्त्वज्ञोऽवधिज्ञाननिधिर्गजः / अबन्धनीयो धर्मात्मा धर्मबान्धवतां गतः॥ 295 // ____ अन्वयः--सम्यक्त्वतत्त्वज्ञः, अवधिज्ञाननिधिः, धर्मात्मा, धर्मबांधवां गतः अयं गजः अबंधनीयः // 295 // अर्थ:--सम्यक्त्वना तत्वने जाणनारो, अवधिज्ञाननो भंडार, धर्मात्मा, तथा (तारा) धर्मबंधुपणाने प्राप्त थयेलो आ हाथी 'तारे बांधबो नहीं. // 295 // 0 सिन्धुरोऽयमबद्धोऽपि न किंचित्पीडयिष्यति / यद् द्वितीये भवे स्वर्गी सप्तमे सिद्धिसौख्यभाक् // 296 // DeleaseEECISISISEXEEccited
SR No.036475
Book TitlePunyadhya Charitram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhamansuri
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1928
Total Pages229
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size64 MB
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