________________ Deleteeeeelete98919019939 सान्वय भाषान्तर / 108 पुण्यादयCBM) अर्थ:-जीवहिंसाआदिकना क्रूरपणावालु रौद्र कहेवाय, अने तेथी उत्पन्न थयेखें ध्यान पण रौद्रध्यान कहेवाय, अने तेपण चार चरित्र प्रकारनु कयुं छे. // 263 // : 108 / ...वधबन्धननिर्दाहांकनमारणकर्मणाम् / जीवेषु प्रणिधानं यन्निर्दयस्य तदादिमम् // 264 // 3) अन्वयः-निर्दयस्य जीवेषु वध बंधन निर्दाह अंकन मारण कर्मणां यत् पणिधानं तत् आदिमं // 264 // . अर्थ:--निर्दय माणसन जीवो प्रते वध, बंधन, दाह, अंकन, तथा ताडनमाटे जे एकाग्र चितवन, तेने पेहेलु ( हिंसानु बंधी) "रौद्रध्यान" जाणवू. // 264 // .. द्वितीयं त्वतिसंधानसनिबंधस्य मायिनः। असदभूतभूतघातिकूटवाकूप्रणिधामयम् // 265 // ' अन्वयः-अतिसंधान सनिबंधस्य मायिनः असद्भूत भूत घाति कूटवाक् प्रणिधामयं तु द्वितीयं // 265 // KAR अर्थ:-जूठाणुं गोठववा माटेनाज आग्रहवाळा एवा कपटी माणसनुं नही बनेला तथा जेथी जीवहिंसा थाय एवा खोटा वचनोनी 188BISIRSIO DSEISSISSEISEDICICICISESEISED