________________ 9999998919191910000000000 पुण्याय चरित्र (1104 // सान्वय भाषान्तर 11041 अन्वया:-तीर्थकरः, अतीर्थकरः, प्रत्येकबुद्धा, स्वलिंग:, परलिंगः, नरलिंगः, च नपुंसकः सिद्धना 253 / / तीर्थसिद्ध अ- तीर्थसिद्धा, स्त्रीलिंगः, बुधबोधितः, एकसिद्धः, अनेकसिद्धः, स्वयंबुद्धः, तथा गृही. / / 254 // युग्मं / ...... अर्थः-तीर्थकर, अतीर्थकर, प्रत्येकबुद्ध, स्वलिंगे सिद्ध, परलिंगे सिद्ध, पुरुषलिंगे सिद्ध, नपुंसकलिंगे सिद्ध // 253 / / तीर्थसिद्ध, अतीर्थसिद्ध, स्त्रीलिंगे सिद्ध, बुधबोधितसिद्ध, एकसिद्ध, अनेकसिद्ध, स्वयंबुद्ध, अने गृहीलिंगे सिद्ध. // 254 // युग्मं / / एकस्मिन्समये जीवाः सार्धद्वीपद्वयेऽपि तु / एकमारभ्य सिध्यन्ति यावदष्टोत्तरं शतम् // 255 // अन्वयः-सार्धद्वीपद्धये अपि तु एकस्मिन् समये एक आरभ्य यावत् अष्टोत्तर शतं जीवाः सिध्ध्यंति. // 25 // अर्थः-अढी द्वोपनी अंदरज एक समयमा एकथी मांडीने छेक एकसो आठसुधी जीवो सिद्ध थाय छे. // 255 // सिद्धत्वे केवलज्ञानं कारणं कीर्तितं जिनैः / तत्तु कर्मक्षयादेव ध्यानाकर्मक्षयो भवेत् // 256 // अन्वयः-सिद्धत्वे केवलज्ञानं कारणं जिनैः कीर्तितं, वत् तु कर्मक्षयात् एव, कर्मक्षयः ध्यानात् भवेत् . // 256 // SSO666666600000 HARI 3 .. na.daunalodawunlaina