________________ समर्पण सर्वथा अजोड़, नयनरम्य, चित्ताकर्षक, श्री राणकपूरजी के जिन मंदिर में विराजमान, अरिहंत परमात्माओं को द्रव्य तथा भावपूर्वक मेरा नमस्कार होवे / बावनजिनालय में विराजमान श्री चिंतामणी पार्श्वनाथ परमात्मा को मेरा कोटिशः वन्दन होवे / सादडी की पवित्रभूमि से दीक्षित हुए मुनिराजों को तथा साध्वीजी महाराजों को मेरी भाव वन्दना होवे / ___मैं भी इसी भूमि की मिट्टी में जन्मा होने से सादडी (राजस्थान) संघ के करकमलों में यह पुस्तक समर्पित करते हुए मुझे पूर्ण आनन्द हो रहा है / 2046 पौष दशमी लि. पं. पूर्णानन्द विजय (कुमार श्रमण) C/o. शांतिनाथ जैन देरासर, दादर, बम्बई - 400 028. PP A Gunratnasuri M.S. -Jun-ComAaradurakes