________________ जीवनधन की प्राप्ति कहां से और कैसे होगी ? - दुनिया भर के किसी भी बाजार से हीरे, मोती, सुवर्ण, चांदी, =आदि नगद नारायण की प्राप्ति करने में किसी को भी कठीन नहीं / है, परन्तु अपन सब जानते है कि, भौतिकवाद कभी भी विश्वासघात करने के साथ-साथ घर में, कुटुंव में, समाज में तथा देश में वैरविरोध, मारकाट, टंटे फिसाद तथा Man its Man को सत्यार्थ करने देर नहीं लगाता है / जब आध्यात्मिकवाद के जरिये जीवन- / . धन की प्राप्ति सरल और सुलभ बनेगी और साथ-साथ इन्सानियत मानवता, दैवी संपत्ति तथा सात्विक भाव का अमर वारसा भी आसानी से प्राप्त होगा / यदि आपको इसे प्राप्त करना है तो इस पुस्तक को आदि से अन्त तक पढे बिना दूसरा मार्ग नहीं है। खूब याद रखे कि, कथा तो केप्सुल है, जिसमें जीवनधन नाम का अमर औषध भरा हुआ है / वृद्धों का कहना है कि, नलदमयंती की कथा करना, सुनना और सुनाना पुण्यानुबंधी पुण्य का मौलिक कारण है। व्याख्यान, स्वाध्याय तथा जैनागम को जानने की इच्छा रखने-) वालों पू. साधु, साध्वीजी महाराजों के लिये तथा घर में बैठे-बैठे जैनशासन स्याद्वाद, अहिंसा, संयम, कर्मवाद, कर्मविपाक आदि तत्वों की जानकारी प्राप्त करने के लिये, अन्तिम पृष्ठ पर सूचित किये आगमीय ग्रन्थों को अपने घर पर वसाने की शीघ्रता करें। लेखक पंन्यास श्री पूर्णानन्द विजयजी (कुमारश्रमण) P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust