________________ 170 णायकुमारचरिउ [9. 22. ८सीसगएहिं णाई गुरुसंगहिँ कामिणिधरियहिँ णाइ भुयंगहिँ। पल्लवछइयहिँ णं सुररुक्खहिं जडसंसग्गएहिं णं मुक्ख हिँ। गायणेहिँ णं सुट ठु सुकंठहिँ णं किराडपुत्तेहिं सुमंठहिँ। पंडुरेहिँ जसपुंजाभासहिँ सिंचिउ मंगलकलससहासहिं / घत्ता-भरणिव्वाहणु कुलधवलु धवलेहि मि जसधवलु विहाविउ / भूसिउ धवलविहूसणहिँ धवलुज्जलवत्थई परिहाविउ // 2 // 23 After his coronation, Nagakumara sends Vyala to fetch all his wives and Vidyas from wherever he had left them. With them he enjoys _his royalty. बद्ध पट्ट सिरिणेहणिबंधु व पय डिउ पुठवपुण्णसंबंधु व / ताएं णायकुमारहो भालए उरयले लच्छि णिसण्ण विसाल / सीहासण बइठ्ठ णं मंदर जिणवरिंदु सुरसेवियकंदर। चामरेहिं णं हंसविहंगहिँ कणयदंडपासयपडियंगहिं। णं कित्तिहिं अंगई परिघुलियइँ विजिउ णरवरकरसंवलियहिँ / छत्तई धरियई चारुणवल्लई णं णिवसंपयवेल्लिह फुल्लई। वग्घमऊरसीहगरुडद्धय / उब्भिय वंदसूरपालिद्धय / रायारुहणजोग्गदिव्वंगहिँ किउ अहिसेउ मयंगतुरंगहिँ / विहियई होमई इच्छामाण धणपरिहीणहँ दिण्णई दाणइँ। वालें रायाएसु लहेप्पिणु जहिं णिहियई तहिँ तहिं जाएप्पिणु / विजउ भजउ दिव्वई सयणई दविणणिहाणई णाणारयण / घत्ता-आणियाइँ सव्वई घरहो सुयणहिँ पैरियणेहिँ परियरियउ / थिउ जायंधरि कयणउरि सिरि भुजंतु पुण्णविप्फुरियउ // 23 // 24 Through sheer disgust Sridhara renounces the world. He is followed by Jayandhara and Prithvidevi. Nagakumara enjoys the earth for a long time and then transferring it to Devakumara, himself becomes a Digambara. तं पेच्छिवि निव्वेएं लइयउ सिरिहरु पुत्वमेव पवइयउ / पुहवीदेविट सहुँ कयसंवरु जाउ जयंधरु राउ दियंबरु / खग्गें वइरिवग्गु पिल्लूरिवि बंधुहुँ हिययमणोरह पूरिवि / णाण विउसणिवहु संतोसिवि सोहग्गें रामारइ पोसिवि। रूवें कामएउ होएप्पिणु। तेएं चंदु ससूरु जिणेप्पिणु / विहवें सकहो सल्ल करेप्पिणु बुद्धिश सुरगुरुबुद्धि हरेप्पिणु / 23.1.CD संचलियहिं; E संवलियउ. 2. E विहाणइं. 3. c omits परिणयहिं. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust