________________ 156 णायकुमारचरिउ [9.13. 10 सुहुमु दूर अंतरियउ दिट्ठउ तिहुय[ जणे परमेट्ठिहिँ सिट्ठ। देउ दोसणिम्मुक्त समासिउ दुविहु सयलु णिक्कलु उवएसिउ। सयलु देउ अरहंतु भडारउ / ____णिकलु सुट्ठ सिद्ध असरीरउ / घत्ता-धम्मु अहिंसा पर, जण तित्थई रिसिठाणाइँ पवित्तई। , ___ मोक्खमंग्गु सुंदर मुणसु तिण्णि वि दंसणणाणचरित्तई // 13 // घत्त .. The teacher concludes his discourse and Nagakumara accepts the excellent faith. धिहिने तिहिए जो णउ चत्तउ दिक्खामोक्खु तेण किं वुत्तउ / णाणमोक्खु तहो कि किर छज्जइ जो कामिणिहिँ कडेक्खहिं छिज्जइ / मोक्खु गुणक्खएण जहिं जायउ जीव विणासु तेण विण्णायउ / अण्णेकहो संसारु ण णिट्ठिउँ / हरणकरणु सामत्थु परिट्ठिउ / सुण्णु मोक्खु अण्णेण पलोइउ अण्णे अप्पउ गयणि निओइउ / तहिँ जि तासु किर लउ संजायउ अवरु भणइ कहिं मोक्खु अकायउ। देहु जि जीउ जीउ णउ भिण्णउ सो किं जाणइ कि पि सुदुण्णउ / इंदियपञ्चक्खु वि जइ संतउ तो किह णजई अग्गइ होतउ।' चरमसरीरायारु णिरिक्खउ दसणणाणविसेसु वि लक्खिउ / मोक्खु महंतहि संतहिँ अक्खिउ सो केहिँ मि विण्णेहि परिक्खिउ / __घत्ता-आयण्णिवि णियगुरुवयणु मयणे परमधम्मु पडिवण्णउ / जाइजरामरणत्तिहरु बोहिलाहु सव्वहँ संपण्ण° // 14 // 10 Nagakumara's inquiry about the cause of his unbounded love for Lakshmimati. The teacher's reply. Merchant Dhanadatta of Vitasokapur and his son Nagadatta. पवियंभइ वसंतु वणराइट महुलिहु गज्जइ वियसियजाइए। भिज्जइ विउसु वि पंडियमइया चवइ कुमारु गिरि व गिरिणइय। लच्छीमइयश हउँ पेम्मंधउ __ मुणि भणु महु सिणेहसंबंधउ / कहइ महारिसि एत्थु जि दीव णयरे रवण्णे वरिस अइराव। वीयसोयपुरे वणि धणयत्तउ धणसिरिवरु वणिवरु धणयत्तउ / णंदणु णायदत्तु णं वम्महु णारीसुहयत्तणमयणिम्महु / अवरु वि वसुयत्तउ तहिं वणिवइ वसुमइरमणि रमणपसरियरइ / 7. C तिहुयण; E तिहुवणु. 8. C परम. 9. E जई. 10.C मुक्ख. 14. 1. DE धिट्ठए तिट्ठए. 2. C E कडक्खें. 3. E णट्ठउ. 4. D E हरणु. 5 E सामत्थें पइट्ठिउ, 6. E सुदुण्णिउ. 7. E ण जइ. 8. C सातहिं. 9. CE धणेहिं. 10. A B संपज्जउ. 15. 1. D सुहयत्तणु. 2. E रमणि. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust