________________ 148 णायकुमारचरिउ [9. 4. ११घत्ता-इसिणा धम्मबुद्धि भणिउ वियसेवि बोल्लिउ णायकुमार। धम्मु ण याणमि देव हउँ अच्छमि छायउ मोहंधारे // 4 // Philosophical discourse of Pihitasraya. Remarks on the 'Kshanika Vada' of the Buddhists. भणइ भडारउ मोहु ण किजइ मोहें णाणु हुंतु ढंकिज्जइ / गर्दसणु जगु णिहिटूउ खणविदसण। इक्के वासण तासु ण णासइ सो किं जीउ जिणाग, विलसइ / भंति भंति केम साहिज्जइ दुवियड्ढे महु हासउ दिज्जइ। अंबरु परिहइ भोयणु भुंजइ भुयणणाणु पभणंतु ण लज्जइ। परमाणु य मिलंति बहु जहिँ जहिँ घडपडविडवि होंति (वि तहिँ तहिं / खणधंसियहोणाणु संजोयउ। गयसंजोउ ण दीसइ लोयउ / संतई संताणई संगहियई गोविणासि कहिं दुद्धई दहिय। दीवक्खा कहिं लभइ अंजणु सञ्चउ भासइ मिणिरंजणु / खणि खणि अण्णु जीउ जइ जायउ तो बाहिर गउ किह घरु आयउ / अण्णे थवियउ अण्णु ण याणइ सुण्णु वि वाइकाई वक्खाणइ / घत्ता-सुण्णु असेसु वि जइ कहिउ तो किं तहो पंचिंदियदंडणु / चीवरणिवसणु वयधरणु सत्तहडीभोयणु सिरमुंडणु // 5 // Remarks on the orthodox philosophies of the Brahmans, पुह बंभु पाणिउ लंछीसरु हुयवहु रुद्द पवणु पुणु ईसरु / सिउँ अंबरु कुलकउले भाणिवे तेण वि तच्च किं पि ण वियाणिउ / तं जि समासिउ दूसियदइवें गयणु जि भणिउ सयासिउ सइवें / णिक्कलु किं पसरइ आउंचई णिकलु फि परमाणुय संचइ / णिकलु किं तणु गिण्हइ चित्तइ णिकलु किं परकज्जइँ चिंतइ। * णिकलु किं भणु करइ वि धरइ वि णिकलु किं तिहुयणु संघरइ वि / णिक्कलु किं सइँ पढइ पढावइ णिकलु मोक्खमग्गु किं दावइ / णिक्कलु किं अटुंगई धारइ णिक्कलु किं परु पेरइ वारइ / णिक्कलु किं परिणामहो वच्चइ णिकल्लंसु किं गार्यइ णञ्चइ / घत्ता-णिक्कलु णिचणु णाणतणु सिद्धत्तेण सहावें थक्कइ। अप्पउ मरइ ण संभवइ कहिं किर सो जगजत्तहे दुकइ // 6 // 5. C अच्छामि च्छय. 5. 1. E खणु. 2. E वासुण. 3. C जिणायमु. 4. C भुअ वि तहिं. 5. E कहिं. 6. E वाउ, 6.1. E लच्छीहरु. 2. A सिय; BD सिव. 3. E भणियउ. 4. E दूसिवि. 5. E आवंचइ. 6. A परमाणु सयंचइ. 7. A B C पत्तइ. 8. E गावइ. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust