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________________ 120 णायकुमारचरिउ [7. १०.३देउ पयाबंधुरु किं वण्णमि. हउँ णियकुकइत्तणु अवगण्णमि / वियडकडयकीलियसुरकंतहो अण्णहिँ वासरे गउ उजितहो / जिणवत्थावहारवउ संसिवि लक्खणपंति' फुरंति णमंसिवि / णाणसिलहिँ णियणाणवडंचलु धोईउ वयजलेण क उ णिम्मलु / सिहरे पावियकेवलणाणइँ बंदिय मुणिवरणिव्वुइठाणई। चित्तदेहकक्करदरिदुग्गइँ सुरकामिणिभवपावणमग्गई। विरइयबंभणिरूर्बुदेसई थाण गयप्फलणियरुदेसई। डिंभयभयहरणेकविहाण जोइय जक्खिणिणिलयणिवाणइँ"। दीणाणाह दिण्णधणपउरहो पुणु आयउ सुंदरु गिरिणयरहो। घत्ता-थिउ तहिँ ससयणु जाम ता णं सिरिहकारउ / 'पत्तविहूसियकंठु पत्तु एक्कु लेहारउ // 10 // 10 . 11 The letter is from Abhichandra, king of Gajapura, requesting Nagakumara for help against Vidyadhara Sukantha who had killed his brother Subhachandra of Kausambi and captured his seven daughters. गयउरवइणा उज्झियद रयणमालघरिणीकंदप्पें / . चंदमुहें चंदाहाव मुयभायरकयसोयवियप्पें / कुरुकुलपविउलणहयलचंदें लेहु विसजिउ जो अहिचंदें। सो मयरद्धएण अवलोईउ एम कज्जु आहासइ वाइंउ / उववणणवदुमकीलियसुरवर वच्छाजणवश कोसंबीपुर। महु सुहचंदु भाइ गरुयोरउ वसइ सुहदापाणपियारउ / ताह सुहदह तेण विणीयउ णिसुणि सत्त संजायउ धीयउ। कमलप्पह कमला सुहमाणण कमलसिदी वियसियकमलाणण / आणंदप्पह णायसिरी सइ कणउज्जल उज्जलपाडलगइ। कणयमाल एयउ सत्त वि लइ आयण्णहि कुमार विहिवसगइ / पत्तवसंतसम विहसंतिउ वणे वसंततिलयम्मि रमंतिउ / दिउ सोमें खयरें कण्णउ मरगयमणिचामीयरवण्णउ / गंपि अलंघणयरे मइमंदहो . कहियउ तेण सुकंठखगिंदहो। वज्जोयरिदेवीपासें णहयलगमणे जमभडवेसें / कुलसकंठरुप्पिणिसुंयताएं आवेप्पिणु णहयरणरराएं / घत्ता–देव णियाउ सुआउ मारिवि भाइ महारउ / पहु तुहुँ दुत्थियमित्तु तुम्हहँ कउ कूवारउ // 11 // 4. E मणि मण्णमि. 5. C E उज्जतहो. 6. E°वंति. 7. E धोयउ. 8. C E रूउ उद्देसई. 9. A B C D थाणु. 10 C E जोइवि. 11. A णवाणइं. 12. E तिरिहक्कारिउ. 13. D पत्तु. 11. 1. E यस. 2. E गरुआरउ. 3. E°हि. 4 D कणयकति. 5. C पत्ते. 6. E सुअ. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036460
Book TitleNag Kumar Charita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadant Mahakavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages352
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size337 MB
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