________________ -7.10.2] हिन्दी अनुवाद 119 8. शत्रुको पराजय व नागकुमार द्वारा बन्धन ज्योंही वह सामन्त प्रमुख योद्धा मारा गया त्योंही व्यालते हाथमें खड्ग लिये हुए अपने शत्रुको ललकारा। तत्काल ही चन्द्र प्रद्योतके दो विजय और जय नामक भयंकर और प्रचण्ड किंकर दौड़ पड़े। किन्तु उन्हें अक्षय और अभेदने रोककर बांध लिया और नागकुमारको समपित किया। नागकुमारने समस्त शत्रु भटोंको संग्रामसे भगाकर तथा प्रतिपक्षियोंके समस्त प्रहारोंको बचाकर, सिंहपुराधीशको उसो प्रकार बांध लिया जैसे राहु प्रलयके दिनमें सूर्यको ग्रसित कर लेता है। नागकुमारके अद्भुत पराक्रमसे प्रभावित होकर गिरिपुरके राजाने अन्तरपुर नरेशसे पूछा-यह काम है या नारायण ? यह तो कोई महान् गुणवान् यशस्वी दिखाई देता . है। अन्तरपुर नरेशने उत्तर दिया-मैं भी तो नहीं जानता! यह नया-नया ही मेरे घर आया था और मैंने उसका सम्मान किया था। यहां आकर उसने शत्रुके उत्साहको चूर-चूर कर दिया। इस पाहुनेने अपना अच्छा कौशल दिखलाया। तब किसी दूसरेने कहा-अरे, ये राज्यश्री द्वारा सेवित पृथ्वी महादेवीसे उत्पन्न हैं / यही तो वे नागकुमार हैं जो पृथ्वीकी रक्षा करनेवाले जयंधर राजाके पुत्र तथा आपके भागिनेय होते हैं // 8 // 9. नागकुमारका स्वागत व मामाकी पुत्रीसे विवाह यह सुनकर मामाको सन्तोष हुआ। उन्होंने जय-जयको ध्वनिसे विजयकी घोषणा की। नागकुमारने प्रणाम किया और राजाने अपने भगिनीपुत्रका आलिंगन किया, अपने रण में प्रचण्ड भुजदण्डोंसे उन्हें अलंकृत किया। श्वसुरने सुन्दर कुमारको साधुवाद दिया तथा शत्रुके संहारक होनेके नाते उसे बधाई दी। नरेन्द्रको राजपट्ट बांधा जाना सोहता है। गजेन्द्रके दांत भी बढ़े हुए शोभा देते हैं। नृपका यश काव्यमें निबद्ध होकर शोभायमान होता है। तथा पारेका रस भी बँधनेपर जगत्में सोहता है। यदि खड्गका आलिंगन (प्रहार ) होनेपर तत्क्षण मृत्यु न हो जाय तो सुभट कवच और शस्त्रबद्ध होता हुआ समरांगणमें सोहता है। क्या मदोद्भट और शत्रुको संतापकारी पतित होते हुए घन स्तन और भट बंध जानेपर नहीं सोहते ? तुम्हारा पौरुष कौन स्खलित कर सकता है ? तुम्हारी यशराशिको कोन मलिन कर सकता है ? इस प्रकार सम्बोधन करके गिरिनगर नरेशने नागकुमारको छोड़ा। श्रीचण्डप्रद्योतके सुभट जय और विजय उसके दास हो गये। फिर सब लोग पुरमें प्रविष्ट हुए तथा नाना प्रकारको शोभा विस्तारके साथ नागकुमारने अपने मामाकी पुत्री गुणवतीका परिणय किया // 9 // 7 10. उर्जयन्त तीर्थकी वन्दना इस प्रकार शत्रुनरेशकी चतुरंगिणी सेनाको घटके समान विध्वस्त करके व शत्रुको तीक्ष्ण तलवारसे ताड़ित कर बिठा देने एवं दीनोंके दुःखका तथा शत्रुओंके सुखका अपहरण करनेके चात् नागकुमार गिरिनगरमें निवास करके रहने लगा। उस प्रजाबंधुर देवका क्या वर्णन करूं? P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust