________________ 108 णायकुमारचरिउ [६.१७.४पडिहारें रायहो वरिउँ परमेसर पुरिसजुयलु धरिउ / अच्छइ दुवारि भणु किं करमि किं पइसउ किं अज वि धरमि / पहुणा पउत्तु दक्खवहि लहु भडसंगहु भूसणु बप्प महु / परियाणिवि णिवइहे मणचरिउ ते बे वि तासु दाविय तुरिउ / पणवंत दिट्ठ जित्ताहवेण सुग्गीवहणु व णं राहवेण / जायकुमार पहसियमुहेण सपसाएं अइगुरुआयरेण / आसणतंबोलई दिण्णाई णयण णेहें वित्थिण्णाई। रइवइणा पुच्छिय दिण्णदिहि तेहिं वि भासिय वित्तविहि / जाया किंकर करवालधर भुयबलपरियढियगरुयभर / किं इक्कु पयाबंधुरु सुकिउँ भुंजइ अण्णु वि विहणा विहिउ / घत्ता-बहुरमणिहिँ बहुरयणहिँ बहुभिच्चहिँ बहुसयणहिँ। "परियरियउ सो गंदइ पुप्फयंतु जो वंदइ // 17 // इय णायकुमारचारु गरिए णण्णणामंकिए महाकह पुष्फयंतविरहए महाकव्वे विजाणिहिअछेयाभेयवीरलंमो णाम छट्ठो परिच्छेउ समत्तो // सन्धि // 6 // 4. E°यउ. 5. A B C E omit this line and D gives it in the margin. 6. E°याई. 7. D गुरुव. 8. E सुकुउ. 9. E रयणेहिं. 10. D परियरिउ. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust