________________ णायकुमारचरिउ [6. २.९किं किज्जइ पेसणु देव भणु जा घोसइ दिव्वपुरंधिगणु / ता तासु झत्ति सुत्तंतियां जगपूरहँ तूरहँ सदु सुउ / घत्ता-तेण सणियडि णियच्छिय आलोयणिय पपुच्छिय / उट्ठिउ भुणविमद्दउ किं वायउ तूरयसद्दउ // 2 // Jitasatru's panegyric of sage Suvrata. सा भासइ जोयरयव्वयहो उप्पण्णउ केवलु सुव्वयहो। सविसायकसायरायहरहो। परमेट्ठिह णमिजिणगणहरहो। तहिँ जायउ विविहसुरागमणु बहुतूरणिणायभरियभुअणु। ता णिग्गउ सो गैउ जोइयउ केवलि केवलसिरिराइयउ / संथुउ परमेसर तुहुँ सरणु पई भिण्णउ इंदियणाणवरणु / रयजलवाहहो बेद्धउ वरणु विद्धंसिवि घल्लिउ भवमरणु / पई एंतु णिवारिउ जमकरणु पई पंचविहु वि णिजिउ करणु / पइँ ण लयउ मणिकणयाहरणु पई ण कियउ णियदेहहो भरणु / पई मण्णिय णउ णिवसिरि तणु वि माणिक्कु वि सरिस उ तुह तणु वि / तुहुँ दुजणसयणे समाणमणु तुहुँ मंदरधीरु महासमणुं / घत्ता--तुहुँ कयसाहुपसंसट जिण भूसियउ अहिंस। सुव्वय मुणिवरसारउ तुहुँ सोधम्मु भडारउ // 3 // Suvrata's lecture on the transitary nature of worldly acquisitions. अंतेउरु अंते उरु हणइ खयकालहो आयहो किं कुणइ / सण्णाहु कयंतहो किं करइ छत्ते छायउ किं उवयरइ। णउ केहि मि मरणदिण उव्वरइ / चमराणिलु सासाणिलुलु धरइ। सुहु रायपट्टबंधे वसइ किं आउणिबंधणु णउ ल्हसइ / भणु किं करंति णिव्भयकरहँ णिवकिंकर वइवसकिंकरहँ। काले हएण हय किं ण हय महिहरसमाण गर्यघड जि गय / ण रहेहि रहिज्जइ जमँहु वहु किं मणुर्यहँ लग्गउ रज्जगैहु। होइवि जाइवि सहस त्ति किह रायत्तणु संझाराउ जिह। ल्हिक्कउ णरु णियभयवसघुलिउ णउ एंतु मिच्च दुग्गें खलिउ / 'पहवंतु सेयवेयंकियउ चिंधे२खयचिंधु ण ढंकियउ। असिपाणिएण गुरुपावतरु. परिक्ड्ढ इ पसरियदीहकरु / तहो केरउकडुयउ दुक्खफलु भक्खिउ वंकावइ मुहकमलु / 8. C सुत्तंते सुउ; E सोतत्ति. 9. E भुवण. 3. 1. D जयरविगुणगणहो. 2. C भुयणु; E भुवणु. 3. C गउ. 4. MSS. परमेसरु. 5. ABD ____बहु उवयरणु. 6. C इंतु. 7. E सयणि. 8. ABD महासवणु. 9. E सोधम्म.. 4. 1. A उव्वयरइ; C उव्वरइ. 2. E कहमि. 3. E सासाणिरु. 4. BD सहु. 5. E कालेण एण. 6. E घडिय. 7. C जमहो. 8. E मणुवहं 9. ABD रायगहु. 10. ABCD एउ; E णउ हंतु. 11. E पहिवंतु. 12.8 चिधि. 13. कडयउ. . P.P.AC. GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust