________________ णायकुमारचरिउ . [5. १३.३लइ लइ ललियलील ललणावर कय कुसुमसरपसर करिकरकर / रक्खियाई मई तुज्झु णिमित्तें ___ अवहारहि पहु दिव्वें चित्तें। जं किउँ मइँ वणयरपियहारणु तं पहु तुम्हागमणहो कारणु / - ता मयणेण भणिउ मणहारिणि / देहि समरि समरहो सुहकारिणि / सा वि समप्पिय तेण तुरंत भिल्ले अवलोइय विर्यसते। पुणु पहु पभणइ दणुय णिरिक्खहि अज वि रयणई तुहुँ परिरक्खहि / अग्गइ वालहो विणउ करेजसु, एयई एयहो आयहो दिजसु / घत्ता-तं तिहुर्यणरइ कण्णारयणु . तं मंडलग्गु तं मणिसयणु / - मयणहो जि हुंति रइराइ यहो जगे पुप्फयंततेयाहियहो // 13 // इय णायकुमारचारुचरिए णण्णणामंकिए महाकइपुप्फयंतविरइए महाकग्वे कण्णाकरवालदिव्वसेज्जालंमो णाम पंचमो परिच्छेउ समत्तो ॥संधि // 5 // 6. CE विहसते. 3. E कइ. 4. C मई किउ. 5. ABD सवरि. 8. E विहुवणरइ. 9. D राययहो; E राहियहो. 6. E अज्जु वि. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust