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________________ 86 ‘णायकुमारचरिउ [ 5.11. ४एही काणणमहि जोयंते दिट्ठउ जिणवरभवणु भमंते।। बहुसंचियदुक्कियरयसाडई करफंसेण गयाइँ कवाडई। दिट्ठउ चंदप्पहपडिबिंबउ ' णं ससिबिबउ जसणिउरुंबउ। जहिं जहिँ दीसइ तहिँ तहिँ चंगउ पण्णा(त्तरधणुसयतुंग। अहिसिंचिउ तं पजिउ वंदिउ अपाणउणित गरहिउ प्रिंदिउ / हो किं सग्गें खयसंसग्गें कि सोहग्गे पुणरवि भग्गें। . किं हें वढियसिविणेहें किं देहे जीवियसंदेहें। डज्झउ चत्तसारु संसारउ महु चंदप्पहु सरणु भडारउ / पुणु वीणावजे सियसेविउ णञ्चवियउ तिण्णि वि महएविउ / / लीलाकमलणिहियवहुसीसें : णिग्गंतेण तेण जुबईसें। घत्ता-ता दिट्ठ पुलिंदउ दीणमणु सर्बरीविओयसिहिदढ़तणु / परिताय? परिताय?' भणइ णिसुणंतहँ कारुण्णउ जणइ / / 11 / / Nagakuinara visits the habitation in Patala, of the demon who had carried away the Bhilla's wife सो पुच्छिउ किण्णरिभत्तारें भणु किं वणु बहिरिउ पुक्कारें। .. चवइ चिलाउ एत्थु भाभासुरु कालगुहंते वसइ भीमासुरु / सरलकमलदलदीहरणेत्ती / तेण महारी पणइणि हित्ती / / दीणुद्धरणु भडारा भावहि ... जइ स कहि तो लहु देवावहि / ता तं वणयरवयणु पडिच्छिउ . भोयणु तहो वणयरहो पयच्छिउ / सइँ मुत्त उ भुत्तुत्तरकाली / सहुँ वाले पइसरिवि पयालय।। : पायोलिं दाणवभवणुल्लउ ... दिट् ठु अदिटुंपुव्वु अइभल्लउ / / पंचवण्णधयवडहिँ पसाहिउ :: मोत्तियेकणरंगावलिसोहिउ / णवकप्पदमपल्लवतोरणु वीरु णिहालिवि ण किउ णिवारणु / कट्ठघडिउणं जीवें मुक्कउ . थिउ पडिहारु बारि' तुहिक्कउ / गय बिण्णि वि जण वीर महाइय असुरत्थाणु खणेण पराइय।। घत्ता-वम्महदसणे उकंठियउ सीहासणे असुरु ण संठियउ / सुरसमरसएहिँ अणिट्ठियउ अग्धंजलि करिवि समुट्ठियउ // 12 // 13 The demon honours Nagakumara; the Bhilla's wife is restored to him and the prince acquires a sword, a couch and many other gems, दिण्णउ आसणु कि उ संभासणु रयणविहूसणु मणहरु णिवसणु / असिवरु सूरहँ सुरहँ वि णिम्मलु रयणकरंडणामु सेज्जायलु / 3. Ddeg विबिउ. 4. Edeg सोत्तर. 5. E डज्झिउ. 6. c विनि वि णियदेविउ; E तिणि वि णियदेविउ. 7: C कीला. 8. E समरी. 9. E हो.. ." 12.1.8 इत्थु. 2. E हत्तो. 3. E तें. 4. ABC वालि. 5. E पयसरिवि. 6..DE पायालें. 7. E दाणुव. 8. BD अइट्ठ; C अइट्ठ. 9. C मुत्तियकरणंगावलि. 10. A घडि. 11. C वारे, 13. 1.C मणहर.. 2..CE सूरहासुरविणिम्मल.... .... : P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036460
Book TitleNag Kumar Charita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushpadant Mahakavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1972
Total Pages352
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size337 MB
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