________________ 80. णायकुमारचरिउ [ 5. 6.1 Durvachana implores forgiveness of Nagakumara, The princess of Kanyakubja is sent with due honour to her father, - खम करि परमेसर कुलभूसण .. देवदेव दुजणकयदूसण / - कवणु कुमारु एहु कहिं आयउ .. णिरुवमलक्खणलक्खियकायउ। a. भासई महुराहिउ जग सारउ ण विजाणहि तुहुँ सामि महारउ / पुत्त जयंधररायहो केरउ माणिय फेणिमणिकिरणुक्केरउ / 5 / भणइ मंति जो तुम्हहँ राणउ सो अम्हहँ गुरुगुरुहुँ समाणउ / . कुंडलमंडियगंडयलुल्लउ खमउ लेउ महु सिरकमलुल्लउ / जं जाणइ तं सो वि अणुट्ठउ / छुडु छुडु केम वि मच्छरु णि?उ / तं णिसुणिवि वालें णिउ तेत्तहे. अच्छइ भडचूडामणि जेत्तहे / भणइ सुहडे भो पत्थिवसारा महुर महारी णयरि भडारा। एहु मंति मेरउ किं किज्जउ भणसु दिसाबलि अज्जु जि दिज्जउँ / कहिउ असेसु वि अवरु वि वइयरु ता संतु सुट्ट रमणीसरु। घत्ता-पडिवण्णी णियसस गउरविय सहुँ बहुपरिवारें पट्ठविय / ___ कोमलतणु णिज्जियललियलय सा तायहो केरउ णयरु गय // 6 // * रत Nagakumara sees the lute masters and learns from them about Tribhuvararati, the Kashmir princess who would marry only him who could vanquish her in lute-playing. अच्छइ महुरहिँ पुण्णमणोरहुँ भमरु व माणियमालइसोरहु / णंदणवणि कोलंते सतें केयइकुसुमवासु गेण्हते। पुण्णायइ पुण्णाई वलितें पाणिपउमु पउमोवरि दितें। दिट्ठइँ जाणियगेयवियारहँ पंचसय वरवीणायारह / तोहँ पमुहु तहिँ इक्कु णियच्छिउ कुमरें रायउत्तु आउच्छिउ / किं फलु दिट्ठउ वीणाभासें. भासिउ जालंधरराएसें। कित्तिधवलु णामें कस्सीरण देसे पसिद्धणयर कस्सीर। राउ णंदि णंदवइ किसोयरि तासु देवि णावइ मंदोयरि। . सुय तिहुयणरइ किं वण्णिज्जइ तं वण्णंतु विरंचि वि झिजइ / - सा वीणापवीण सुहयारी णं वाईसरि परमभडारी। घत्ता-जो णिवसुयहि वि दिहि जणइ आलावणियइँ"सुंदरि जिणई। . णियणयणोहामियसिसुहरिणि सा पिययम होसइ तहो घरिणि॥७॥ 6.1. A भासिउ. 2. C फण. 3. B लोउ. 4. C जे. 5. D सुहड. 6. C एउ. 7. CE किज्जइ. 8. CE दिज्जइ. 9. E रणीसरु. 7.1. E रहे. 2. MSS पुण्णाउ. 3. BD लेतें. 4. E°यारइं. ५.Cणाह. 6. E रई. 7. E देसि पसिद्धि णयरि; C पसिद्धे. 8.C मंदोवरि. 9. E सुहियारो.. 10. E सुयहे. 11.G आलावणियए; D°णिया. 12. E जिणिइय. 13. C पियतम. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust