________________ हिन्दी अनुवाद 79 गये। इस प्रकार उस कन्याके कारण जयश्री धारण करने हेतु युद्ध चल पड़ा। हाथ और सिर कटने लगे। उदरोंका विदारण और प्रहारोंका वारण होने लगा। तलवारोंकी खन-खन ध्वनि और मारो-मारोका रौरव कोलाहल हो उठा। हाथी पेले जाने लगे। लोहका रेला बहने लगा। बड़ेबड़े रथ खिचने लगे और केश नुचने लगे। ध्वजाएँ और पताकाएं गिरायी जाने लगीं। घोड़ोंकी पंक्तियां भग्न होने लगों। छुरियाँ खिंचने लगीं। क्रोध को घनघनाहट होने लगी। नागकुमारके उन योद्धाओंने जो सब जीवोंको आनन्ददायी एवं अपने कुलरूपी आकाशके चन्द्रमा थे, उन्होंने पूरे जोरसे युद्ध करके उस सुन्दरीको बन्दीगृहसे निकाल लिया। जैसे मानो देवगंगाको शंकरके जटाजूटसे छुड़ाया हो। इसी समय वह दुवेचन नामका भला आदमी जो उस कन्याका लोभी था, यमके समान क्रुद्ध हो उठा और शीघ्र सन्नद्ध होकर ध्वजा फहराता हुआ व अपने पैरसे गजको प्रेरित करता हुआ झटसे वहाँ आ पहुंचा। घोड़ों, गजों, खरों और ऊँटोंपर चढ़कर त्रैलोक्य मण्डलको क्षोभित करते हुए अपने-अपने अस्त्र-शस्त्र लेकर दुर्वचन और मदन राजाओंके सैन्य युद्धमें भिड़ गये // 4 // . 5. दुर्वचनका मदहरण उस युद्ध में योद्धा खड़गोंसे छेदते, सेलोंसे भेदते, बाणोंसे बोंधते, फारोंसे रूंधते, पाशोंसे बाँधते और दण्डोंसे चूरते थे। वे शूलोंसे हूलते और हाथियोंसे कुचलवाते भी थे। वे परस्पर एक• दूसरेको धराशायी करते, मोड़ते, लोट-पोट करते और घोटते थे। इस प्रकार रोषसे भरपूर हए वे दोनों सैन्य युद्ध करने लगे। इसी समय सज्जनोंको हर्ष करनेवाले किसी पुरुषने वोर व्यालसे कहा कि दुर्वचन नामक राजाने स्त्रीकी अभिलाषासे उस तरुणीके निमित्त मारनेपर तुलकर तुम्हारे मातंग-गजगामी स्वामी नागकुमारको युद्ध में निरुद्ध कर रखा है। यह सुनकर व्याल अत्यन्त उत्तेजित हो उठा। वह तुरन्त नीलगिरि हाथीपर सवार होकर और उस स्थलपर पहुंचकर रणके भारमें जुते हुए प्रियवर्मके पुत्र दुर्वचनसे जा भिड़ा। . .. दुर्वचन अपने स्वामीको देखकर भयसे थर्रा गया। वह हाथीके कन्धेसे नीचे उतरा और व्यालके चरण युगल में पड़कर बोला-मैं दैव की विडम्बनासे यह मुर्खता कर बैठा हूँ॥५॥ P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust