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________________ ( 406) मोहनचरिते षोडशः सर्गः / [उत्तरप्रहार) अरे छ, ( नाथते ) मानने पीडी रे छ, . अथवा 4 59 वरत भागे छ, नध्य ते 20i धारे वस्तु। ( दधते ) 2 / छ, हथी ( स्कुन्दते / / सरे छे ते साधु, धर्भया ( न श्चिन्दते ) Grquथत नथा. अर्थात् धर्भमा शोमती नथी. 10. वन्दते यो गुरून्नित्यं भन्दते स्वल्पलाभतः। मन्दते तं जनो भक्त्या स्पन्दते नो अभिग्रहात् // 11 // ने गुरुतुं नित्य (वन्दते) वहन रे छ, था। सालमा (भन्दते) सु५ भाने छ / मने अभियहथी ( न स्पन्दते ) यसायमान थता नथी तेनी सात मस्तिथा ( मन्दते) स्तुति रे छ. 51. गतमिष्टं क्लिन्दते य आगतं वीक्ष्य मोदते / ददते व्यसने चित्तं स्वदते नो स सत्सुखम् // 12 // गयेदा प्रिय वस्तुमाने ( क्लिन्दते ) 3 अरे छ, प्रिय वस्तु मा वाथी ( मोदते ) हर्ष पामे छ मने बातानु भन व्यसनमा (ददते) रामेछे ते साया सुमन स्वाद (स्वदते ) यापते। नथी. 12. ऊर्दते कूदते यश्च साधुर्निःशङ्कमानसः। सूदते चरणं तस्य धिकृतो हादते हहा // 13 // के साधु निःश भनथी ( ऊर्दते ) भान रामे छ अर्थात् भानी यता 12! 55 // संहाय रामता नथी, ( कूदते ) 4ii / अरे छ ( २ढीयाण मने छ.) तेनु यारित्र ( सूदते ) नाश पामे छ भने त विसर पाभी मनमा ( हादते) 43. मच्या रे छ. 13. ह्लादते स्वादतेऽत्यन्तं पर्दते तुन्दमास्पृशन्। योगे नो यतते यस्तु जोतते न स साधुषु // 14 // 2 (स्वादते) सारी सारी वस्तुमानो स्वाद यावामां सत्यंत यि राम (तथी) (हादते) मान पामे छ, पेट 52 95 ३२वी (पर्दते) पाधा 42 0 24. योगमा (न यतते) प्रयासरता नथी ते साधुयामा (न जोतते) शोमती नथा. 14. P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036452
Book TitleMohan Charitam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDamodar Sharma, Ramapati Mishra, Raghuvansh Sharma
PublisherJain Granthottejak Parshada
Publication Year1910
Total Pages450
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size374 MB
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