________________ सान्वय केशरी चरित्र // 13 // 1 || अर्थः पछी मध्यरात्रिए स्तंभनी पाछळ गुप्त रहेला ते राजाए, आकाशमाथी उतरेला, तथा पावडीओवडे आकाशगमन करनारा ते चोरने दीठो. // 38 // . . | भावांतर / पादुकाद्वयमादाय सोऽथ वामेन पाणिना / गत्वा गर्भगृहं चण्डीमानर्च मणिभिः शुभैः॥३९॥ ___ अन्वयः-अथ सः पादुका द्वयं वामेन पाणिना आदाय गर्भ गृहं गत्वा शुभैः मणिभिः चंडी आनर्च // 39 // ला॥१३॥ अर्थः-पछी ते केशरीचौरे (पोतानी ) ते बन्ने पावडीओ डावा हाथमां लेइने, तथा मूळगंभारमा जइने मनोहर मणिओवडे ते चंडिकादेवीनी पूजा करी. // 39 // जगौ च स्वामिनि स्वैरचारिणश्चौर्यकारिणः / स्यान्ममेयममेयर्द्धिदायिनी क्षणदा मुदे // 40 // अन्वयः-च जगौ, (हे) स्वामिनि! स्वैर चारिणः, चौर्य कारिणः, मम इयं क्षणदा अमेय ऋद्धि दायिनी मुदे.॥४०॥ अर्थः-पछी तेणे कई के, हे स्वामिनि! स्वेच्छाथी गमन करनारा, तथा चोरी करनारा, एवा मने भा रात्री अमाप समृद्धि देनारी तथा हर्ष आपनारी थाओ? // 40 // इत्युक्त्वा वलमानोऽयं द्वारमारुह्य भूभुजा / कृपाणपाणिना जीवन् रे न यासीति धार्षितः॥४१॥ / अन्वयः इति उक्त्वा बलमानः अयं द्वार आरुह्य कृपाण पाणिना भूभुजा, रे! जीवन् न यासि, इति धर्षिता // 41 // अर्थः-एम कहीने पाछा वळता एवा ते केशरीचोरने, दरवाजापर चडीने, हाथमां तलवार खेंचीने राजाए, अरे ! हवे तुं WERERS PP. Ac Gunratrasuri MS. Jun Gun Aaradhak Trust