________________ केशरी० सान्वय भाषांतर चरित्रं // 12 // अर्थः-माटे एरीते हुं त्रणे काल आ देवी- पूजन करुं छु, अने तेणीनी कृपाथी मळेली समस्त प्रकारनी लक्ष्मीना समूहवाळो ययोथको हुँ कुबेरने पण जीतीं जाउं छु.॥३५॥ नक्तं चौरागमं तत्र सुधीनिश्चित्य तद्विरा / ययौ वासरकृत्यार्थमावासं वासवो भवः // 36 // अन्वयः-सुधीः भुवः वासवः तत् गिरा तत्र नक्तं चौर आगमं निश्चित्य वासर कृत्य अर्थ आवासं ययौ. // 36 // अर्थः-ते महाबुद्धिवान राजा तेना वचनथी रात्रिए त्यां ते चोरना आगमननो (मनमा) निश्चय करीने दिवससंबंधि कार्यमाटे पोताने स्थानके गयो. // 36 // नक्तं सारपरीवारश्चण्डिकागारमागतः / न्यस्य दूरे नृपः शूरानिहैकः स्वयमास्थितः // 37 // ___ अन्वयः-नक्तं सार परीवारः नृपः चंडिका आगारं आगतः, शूरान् दूरे न्यस्य, इह स्वयं एकः आस्थितः // 37 // अर्थः-(पछी) रात्रिए मजबूत परीवारवाळो ते राजा ते चंडिकादेवीना मंदिरमा आव्यो, तथा सुभटोमे दूर राखीने, ते पोते एकाकी अंदरना भागमा रह्यो. // 37 // निशीथे स्तम्भगुप्ताङ्गो भूभुजङ्गस्ततोऽम्बरात् / उत्तीर्ण पादुकासिहं तमालोकत तस्करम् // 38 // ___ अन्वयः-ततः निशेथे स्तंभ गुप्त अंगः भू भुजंगः, अंबरात उत्तीर्ण पादुका सिद्धं तं तस्करं आलोकत. // 38 // PP.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust