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________________ P.P.A. Gunratnasuti MS से प्राह रुदेशे न, ताद वास्ति सरोवरम् // त्वया वयं ने दृष्टास्म, "सोऽन्यः "कोऽपि नविष्यति // 16 // तापसे कह्यु. "मरुदेशमां तेवू सरोवर क्याइ नथी. वली तें अमने जोया नथी ते तापस तो बीजो कोइ हशे."॥ तेतश्चित्रं द॑धानोऽसो, पुनःप्रोवाच तापसम् ॥कुत्रत्यस्त्वं कुंतो"हेतोः,स्थिरस्थूलस्थले स्थितः॥ से प्राह श्रूयतां नर, प्रत्यासन्नमतःस्थलात् // अस्ति वीर्तनयं नाम, पैननं चित्तनंदनम् 170 ___पछी आश्चर्य पामता एवा कुमारे फरी तापसने कह्यु. " तमे क्याथी आल्या छो? अने शा कारण माटे आ म्होटा पर्वत उपर रह्या छो? // 169 // तापसे कह्यु, "हे भद्र! सांभल. “आ स्थानथो समीपे चित्तने आनंदकारी वीतभय नामर्नु नगर छे. // 170 // . हेमचूलान्निधो नूपस्तंत्र राज्यमपालयत् // चैत्रःपुरोहितस्तस्य, नित्यं देणमोचयत् 171 पुरोनिविष्टे पाले, केणं कुर्वन् विचक्षणे // नजारं स करोतिस्म, सुरागंधसमन्वितम् 172 त्यां हेमचूल नामनो राजा राज्य करतो हतो. तेनो चैत्र नामनो गोर नित्य कथा वाचतो हतो. // 17 // चतुर एवो राजा सन्मुख वेठे छते कथा करतो एवो ते गोर मदीराना गंधवाला ओडकार करतो हतो. // 172 // हदि झात्वा स्थितो नपो, विसृष्टे देणतःदणे॥ सैन्यानाकार्य पप्रंच, तदाकाले समीपगान् // 'तैरप्युक्ते तथैवागात्र चामरधारिणी // तं हात्वा चे हसित्वा च प्रोवाच नृपति प्रति 17 मया सह सुरापानं, केत्वा रात्रौ तवाग्रतः॥ दणं प्रकुर्वतोऽमुष्य,साहसं महतो महत् // 17 // _ पछी मनमां समजी रहेला राजाए क्षणमात्रे कथा वंध थइ एटले ते अवसरे पासे रहेनारा सभाना माणसोने बोलावीने पूछयु.॥ 173 // सभाना माणसोए पण तेज प्रमाणे कयु. एवामां त्यां चामरधारिणी आवी, ते चामरधारिणीये ते वात जाणी अने हसीने राजाने कह्यु के-॥ 174 // .. रात्रीये म्हारी साथे सुरापान करी तमारी आगल कथा करता एवा ए गोरनुं साहस घणुं म्होहुँ छे.॥१७५ / Jun Gun Aaradhak Trust mmmmmmmmmmTRAKTANTRVACHPATRIENTERevi a estroPARTAINMENT
SR No.036439
Book TitleGunvarma Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMaganlal Hathishang
PublisherMaganlal Hathishang
Publication Year1902
Total Pages242
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size300 MB
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