________________ PP.AC.Gurmatnasun M.S. विहितो वर्णकारोपो, जिनेंदोर्येन पूंजने // फलं तस्यायें वक्ष्यामः, श्रूयतां नेविका जैनाः॥ श्रावस्ती नगरी रम्या, श्रीधरस्तंत्र नूपतिः॥ तस्य बंधुमतो नारो धर्मकर्मैकबंधरा॥१५॥ हवे जेणे पूजनमां जिनराज उपर वर्णक-चडाव्यु छे. तेनुं फल कहुं . हे भव्य ननो! ते तमे सांभलो.१६३ श्रावस्ती नामनी मनोहर नंगरी छे, त्यां श्रीधर नामनो राजा राज्य करतो हतो. तेने धर्मकार्यमां चतुर एवी बंधुमती नामनी स्त्री हती. / / 154 // जीवोऽथ धननाथस्य, तदा तत्कुदिमागताः। स तया समये जीतः,पिता ओके महोत्सवम्॥ बँदमोधर ति प्रोत्या, नाम तस्मै ददौ नृपः॥ वईमानः मेगासौ, तीरं तारुण्यमाश्रितः // ____ हवे धननाथनों जीवं ते वखते ते बंधुमतीना उदरमां आव्यो. तेणे असरे तेने जन्म आप्यो एटले पिताएं पुत्र जन्मनो महोत्सव करयो. // 155 // राजाए पोतिथी ते पुत्रनुं लक्ष्मीयर एवं नाम पाडयु. पछी अनुक्रमे वृद्धि पामतो ते कुमार श्रेष्ट एवी युवावस्था पाम्यो. // 156 // सोऽन्येयुः प्रातरायातस्तातं नंतुं सन्नांतरे // पश्यतिस्म हेयं रेभ्य, केनापि प्रान्तीकृतं // * अमूल्यस्यावरत्नस्य, मूल्यं कुरुते स्वयम् // गतिविलोक्यता पूर्व मिति तैनिकोऽवेदत् // कोई वखते ते राजकुमार सवारमा पिताने नमन करवा माटे सभामां आव्यो अने कोइए भेट मोकलेला 2 मनोहर घोडाने जोवा लाग्योः // 157 // "कयो माणस पोतेन आ अमूल्य एवा अश्वरत्ननुं मूल्य करे ? माटे - प्रथम तेनी गति जुओ." एम ते भेट आपनारे कडूं. // 158 // अथो वाजिनमारुह्य, नृपादेशानृपांगनूः // गत्वा परोक्षयामास, वाघाल्यां वाद्यकोविदः // शरीरे सुकुमारेण स कुमारेण तत्कणम् // प्रेरितस्तुरगोऽचोलोत् , पैवस्ये बांधवः॥१६॥ पछी अश्वपरीक्षामां चतुर एवा राजकुमारे राजानी आज्ञाथी अश्व उपर बेसीने रहवाडीये जई परीक्षा करी. // 159 // अत्यंत सुकोमल एवा कुमारना शरीरे मेरेलो ते अश्व तुरंत पवनना बंधुनी पेठे चाल्यो // 160 // Jun Gun Asachakrust ANXXXX M A IL.........