________________ गुण // 6 // PPA, Gunratnasuti MS KXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXXX फाला दैत्वा गिरेःशृंगं,गत्वा माला विवाय सः॥ कंडे चिकेप कांतानां, कोकि सौ सेंमर्यता॥ चरित्र मुनिःप्रोवाच ता:सर्वा, न वानर्यःकपिन च॥ चिकोडुः स्वेच्या किंतुं, व्यंतेरा व्यंतरीयुताः 147 - ते वानराए फालो दइ पर्वतना शिखर उपर जइ माला वनावीने वानरीयोना कंठमा नांवी,ते शुं वानरानुं सामर्थ्यपणुं छे?" // 147 // मुनिये कडं. "ते सर्वे वानरीयो नहोती अने वानरो नहोतो, परंतु व्यंतरीयो स| हित व्यंतरी पोतानी मरजी प्रमाणे क्रीडा करता हताः // 148 // अथ पूर्वनवं श्रुत्वा, नूपो जोतिस्मरोऽनवत् // विशेषादहितं धर्म, प्रपेदे मुनिसंनिधौ॥१४॥ मुनि नत्वा, गृहं गत्वा, मालया जिनपूजकः // संमयं गैमयामास, वसुधां पालयनसौ॥१५० पछी पूर्वभव सांभलीने राजा माल्यदेव जातिस्मरण ज्ञान पाम्यो तेथी तेणे मुनि पासे विशेष अरिहंत धर्म अंगीकार करयोः // 149 // मुनिने नमस्कार करी अने घरे जइ मालावडे जिनराजनुं पूजन करनारा ते माल्यदेव राजाए पृथ्वीनुं पालन करतां समयने निर्गमन करयो. // 15 // राज्यं दैत्वा स्वपुत्राय, गृहोत्वा संयमं गुरोः // विहितानशनःप्रीते, सौधर्मे त्रिदशोऽनवत् // चिरं सुखान्य॑सौ नुकत्वा, देवलोकाततश्च्युतः // षष्टःचायाकरो नाम, तनयस्तेऽनवन्नृप 152 ____पछी पोताना पुत्रने राज्य आपी पोते गुरु पासे संयम लइ अंते अनशन धारण करनारा ते माल्यदेव मुनि * सौधर्म देवलोकमां देवता थया. // 151 // नरवर्मा केवली गुणवर्मा ने कहेछे के, हे राजन् ! त्यां दोर्घकालसुधी सुख भोगवीने पछी त्यांची चवी ते माल्यदेवनो जीव हारो छठो च्छायाकर नामनो पुत्र थयो. // 152 // // इति माख्यपूजाधिकारे धनेश कथा // Jun Gun Aaradhak Trust // 46 //