________________ P.PA. Gunratnasuti MS बालसखित्वमकारणहास्यं, स्त्रीषु विवादमसैऊनसेवा // __गर्दनयानमसंस्कृतवाक्यं, बसु नरा बँघुतामुपैयांति // 17 // . बालकनी साथै मित्रता, कारण विना हास्य, स्त्रीयोने विषे विवाद, असज्जन माणसनी सेवा, गधेडा उपर बेसबुं अने विचार विना बोलवू ए छने विषे माणसो हलकाइ पामे छे.॥ 108 // इत्याग्रहपरां देवी', पुनः प्राह महीपतिः।नतोस्मिन्न गुणः कोऽपि",प्रत्युतापार्य एव हि // सा प्रोचे तत्करिष्यामि,निश्चित काष्टलक्षणम् // नूपो जगौ नविष्यामि,तदहं मैपि पृष्टगः॥ राजाए ए प्रकारना आग्रहवाली राणीने फरीथी कह्यु के, “निश्चे ते कहेवामां काइपण गुण नथी, परंतु | नाश ज छे. // 109 // पुष्पवतीये कह्यु. "तो हुँ निश्चे अग्निमां बली मरीश." राजाए कह्यु. "तो हुँ पण रहारी पाछल आवीश. अर्थात् हुं पण वली मरीश. // 110 // तेतः सा चलिता शीघ्रं, काष्टलक्षणहेतवे // रुंदता परिवारेण, संहिता साश्रुलोचनम् // 111 // मंत्रिन्नूपालसामंतैर्वार्यमाणो महाग्रहात् ॥चयपिचालीनत्स्नेहपाशबश्पतत्रिवत् 112 // ___पछी ते आंसुने वरसावता, रुदन करता परिवार सहित बली मरवा माटे तुरत चाली निकली. // 111 // मंत्रि, राजाओ अने सामंतोए बहु आग्रहथी वारया छतां पण ब्रह्मदत्त चक्री ते स्त्रीना स्नेहपाशथी बंधायेला पक्षीनी पेठे तेनी पाछल चाल्यो. // 112 // प्रातचतुष्पथे चक्री,संशोकै 'क्षितो जनैः।ततःशएवति नूप च,गंगी गगं जंगाविति // जातोऽस्ति दोहदो मेऽद्य, हृद्यं शकटसंचयात् ॥यांनीय देहि त्वं मां,यवपूलकपंचकम् // . सवारे चोकमां चक्रीने शोकवंत एवा माणसो जोवा लाग्या, एटलामां राजाना सांभलतां छतां कोइ बकरीये बकराने कह्यु. // 113 // "आजे मने दोहलो उत्पन्न थयो छे, माटे तमे आ गाडाओमांथी मनोहर जवना पांच पूला लावीने मने आपो. // 114 // . Jun Gun Aaradhak Trust