________________ PP Guntasun MS गुण वईमानः कृमेणासौ, कलाकौशलपेशलः // तारुणयमाश्रितश्चक्रे, कन्याचिंतापरं नृपम् // आध॥ ईतश्च नदिलपुरे, सोमदेवनृपोऽनवत्॥ सोमचंशनिधा देवी, सोम॑श्री तत्सुता नवत् // 6 // ___ अनुक्रमे वृद्धि पामतो अने कलानो जाण एवो ते कुमार युवावस्थामां आवी पहोच्यो, तेथी राजा कन्यानो शोध करवामां चिंतातुर थयो. // 85 // हवे ते वखते भदिलपुरमा सोमदेव राजा राज्य करतो हतो, तेने सोमचंद्रा नामनी स्त्री हती. ते राणीने सोमश्री नामनी पुत्री हती. // 86 // . तस्याः संखीत्वमापन्ना, मंत्रिश्रेष्ठिपुरोधसाम् // पुत्र्यास्तानियुता सैषा,ययौ क्रीडाँचलं वन॥ मंतेस्म मंतिस्म, जल्पंतिस्म यदृच्छया।तास्तत्र वानरीवृंदं, पश्यंतिस्म संवानरम्॥ज्जा * मंत्री, शेठ अने पुरोहितनी पुत्रीयो . ते राजकुमारोनो व्हेनपणीयो थइ तेथी ते राजकुमारी ते व्हेनपणीयो [25] सहित वनमां क्रीडा करवाने पर्वत उपर गइ. // 87 // त्यो तेश्रो मरजी प्रमाणे रमती हती, भमता हता अन बोलती हती एवामां तेमणे वानर सहित वानगना टोलाने दीर्छ. // 88 // वानरीनिः संह कीडनबीडंस्तानिरीकेतः॥ कपिश्चपलतां चक्रे, वृक्षाणामंतरं जन् // 7 // वानर्यः प्रोचिरे शैल पर्युपरिपादपान् ॥पैश्यंत्यस्ताः संजो देहि, पुष्पाणां नैः पृथक्पृथक् वानरीयोनी साथे क्रीडा करतो अने ते कन्याओए जोवायेलो वानर वृक्षोनी अंदर जतो छतो चपलपणुं करतो हतो. // 89 // पछी पर्वत उपर वृक्षांने जोती एवी वानरीयो कहेवा लागी के, “पुष्पोनी ते मालाआ अमने जूदी जूदी आप. // 90 // एका नमिस्थितस्य नितंबस्थस्य चापरा ॥शंगस्थस्य तरोन्या, येयाचुः कुसुमस्रजः॥ * फालां दत्वा देणेनैर्षे, तान्यस्तोः कुसुमस्रजःदिदौ तहोदय तोः संख्यः, प्रोचिरेच परस्परम् _____ एके भूमि उपर रहेला वृक्षस्य, बीजीये पर्वतना मध्यभाग उपर रहेला वृक्षनी अने त्रीजीये शिखर उपर * रहेला वृक्षनी पुष्पमाला मागी. // 91 // ए वानरे क्षणमात्रमा फाल दइने ते पुष्पमाला ते स्वीयोने आपो. ते जोइ ते सखीयो परस्पर कहेवा लागी. // 92 / / Jun Gun Aaradhak Trust Ang //