________________ PPAC Gunun MS | श्रीदत्तो नृपतिस्तंत्र, श्रीमती तस्य च प्रिया // धनेशो माल्यपूजाकृत्तत्कुका समवातरत् / / स दोहंदावसरे तस्या, माल्यतल्पे सुखं शेये॥ इत्यनूदोहँदः सोऽपि",ईपितः प॒थिवीजे // ते नगरीमां श्रीदत्त नामनो राजा राज्य करतो हतो अने तेने श्रीमती नामनो खो हतो. हवे माल्यवडे / जिनराजनुं पूजन करनारो धनेश ते श्रीमतीना उदरने विषे अवतरयो. // 77 // दोहदना अवसरे ते श्रीमतीने "माल्यनी शय्यामां सूदूं." एवो दोहलो उत्पन्न थयो, तेथी तेणे राजाने ते दाहलानी वात जणावी. // 78 // आरामिका नृपादिष्टा, मायानयनहेतवे // प्रोचिरे देवे निर्दग्धं, हिमेनं सकलं वनम्॥ IN 'चेनं प्रतीतिस्तनृत्यैनि जैरेव निरीदताम् ॥'तथैवं कृत्वा नूपालश्चिते चिंतातुरोऽनवत् // a पछी माल्य लाववाने माटे राजाए आज्ञा करेला मालो लोकोये कडं के, " हे देव! हिमधी सघलुं वन बली गयुं छे. // 79 // वली जो आपने विश्वास न भावतो होय तो आपना ज सेवको मोकलीने जोवरावो." राजा पण तेम करीने पछी चित्तमा बहु चिंतातुर थवा लाग्यो. / / 80 // दोहेदापूरणा देवी, निशां निन्ये कशा संतो // प्रातरारामिकोवं', विज्ञप्तं च महीनुजे॥ अहो चित्रं अहो चित्रं, सायं दग्धमधनम्॥'पुष्पितं दृश्यते से,वसंत व सांप्रतम् // 7 // __जेनो दोहद पूर्ण थयो नथी एवी राणी श्रीमतीये दुर्बल थइने रात्री निवृत्त करी, पवामां सवारे माली लोकोये आवीने राजाने आ प्रमाणे विनंती करी. // 81 // "अहो आ आश्चर्य छे! अहो आ आश्चर्य छे !! के जे सांजे वन बली गयेलु इतुं ते हमणां वसंत रुतुनी पेठे सघलं पुष्पवंत थयेलु देखाय छे. // 8 // तंदैवारानीकानीता, पुष्पमाल्यप्रकल्पिता ॥तटपमासेव्य सा देवी, जीता संपूर्णदोहदा॥३॥ संजाते समये पुत्रे,कृत्वा जन्ममहोत्सवम्॥माल्यदेव इति प्रोत्या, तस्य नाम नृपोव्यधात्॥ ते वखते पुष्पमाला रचिने माली लोंको लाव्या तेथो तेनी सय्यामां सयन करोने श्रामतो पूर्ण दहोला वालो थइ.।।८३॥अवसरे पुत्र उत्पन्न थयो एटले राजाए जन्म महोत्सव करीने तेनुं प्रोतिथी माल्यदेव ए नाम पाडयु.७४ Jun Gun A nak Trust @ne